किसानों के विरोध करने का अनूठा तरीका: गुलाब की माला पहन खुद को गले तक मिट्टी में समाया

तमिलनाडु में किसानों के एक समूह ने गुलाब की मालाओं के साथ आज नदी के शुष्क तल में खुद को गले तक मिट्टी में समा लिया। उन्होंने अपनी मांगों को रेखांकित करने और कावेरी प्रबंधन बोर्ड ( सीएमबी) बनाने की मांग को लेकर विरोध करने के इस अनूठे तरीके को अपनाया। पी अय्यकन्नू की अगुवाई में किसानों ने खुद को मिट्टी में समाने का यह प्रदर्शन करीब दो घंटे तक किया। उन्होंने यह प्रदर्शन श्रीरंगम में यहां कावेरी नदी तट पर किया। बाद में पुलिस ने उन्हें स्वयंसेवियों की मदद से पुलिस र्किमयों ने हटाया। कुछ वक्त के लिए हालात तनावग्रस्त हो गए जब करीब50 किसान नारेबाजी करते हुए वहां पहुंच गए और सीएमबी के तुरंत गठन की मांग करने लगे।

उन सभी ने खुद को मिट्टी में समाने की कोशिश की लेकिन पुलिस र्किमयों ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया और उनमें से केवल17 को प्रदर्शन करने की इजाजत दी। उन्होंने फौरन गड्ढा खोदा और खुद को गले तक बालू में समा लिया और उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बावजूद सीएमबी गठित नहीं करने को लेकर केंद्र के खिलाफ नारेबाजी की।

73 वर्षीय अय्यकन्नू ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘ हम नौ अप्रैल तक इंतजार करेंगे। हमें यकीन है कि इंसाफ होगा।’’ वह किसानों की समस्याओं के प्रति ध्यान आर्किषत करने के लिए चूहों को खाने जैसे प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। नौ अप्रैल को ही शीर्ष अदालत सीएमबी के गठन को लेकर तमिलनाडु और केंद्र की याचिका पर सुनवाई करेगी।

इससे पहले बीते साल अपनी मांगों की ओर केंद्र सरकार का ध्यान खींचने के लिए नरमुंड और मानव अस्थियों के साथ प्रदर्शन करने वाले तमिलनाडु के किसानों ने जंतर-मंतर पर जुटे थे। प्रदर्शन के अनोखे तरीके के कारण लोगों का ध्यान खींचने वाले ये किसान यहां दूसरी बार पहुंचे थे। पिछली बार मार्च-अप्रैल में 41 दिनों तक आंदोलन करने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीेस्वामी के आश्वासन पर वे लौट गए थे, लेकिन इस बार किसानों की बड़े स्तर पर आंदोलन की तैयारी है। किसानों का कहना है कि आश्वासन पूरा नहीं हुआ लिहाजा वे फिर जंतर-मंतर पर आने और आंदोलन शुरू करने को मजबूर हुए हैं।

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