किसानों ने लखनउ की सडकों पर फैलाया आलू
आलू के कम खरीद मूल्य का विरोध कर रहे किसानों ने विरोध प्रदर्शन का अनूठा तरीका अपनाया । किसानों ने राजधानी की कई महत्वपूर्ण जगहों पर आज आलू फैला दिये । राज्य सरकार ने हालांकि इसे असामाजिक तत्वों का काम बताया । लखनऊ के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने भाषा को बताया कि एक ट्रक पर आलू की बोरियां भरी थीं । इसी आलू को आज सुबह शहर की विभिन्न जगहों पर फैला दिया गया । ये पता किया जाना है कि ये काम किसानों ने किया या फिर और किसी ने । अब तक किसी किसान संगठन ने इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है । उन्होंने कहा कि विधानसभा मार्ग, वीवीआईपी गेस्ट हाउस के निकट और 1090 चौराहे के पास आलू फेंके गये । इसके बाद नगर निगम ने फेंके गये आलू हटाये और सड़क पर मिट्टी बिखेरी ताकि दोपहिया वाहन चालक सड़क पर फिसले नहीं । विधान भवन के पास दमकल की गाडियां भी लगायी गयीं ताकि सड़कों को साफ किया जा सके और कोई फिसले नहीं ।
शर्मा ने कहा कि यह असामाजिक तत्वों का कार्य लगता है । यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि यह किसानों या किसान संगठनों का कार्य है । जांच की जा रही है । घटना के पीछे मकसद जानने का प्रयास किया जा रहा है ।राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यह काम किसानों ने नहीं बल्कि शरारती तत्वों ने किया है ।
इस बीच देर शाम लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक गौतमपल्ली थाने के उप निरीक्षक तथा चार कांस्टेबलों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है । मामले की प्रारंभिक जांच करायी जा रही है । विज्ञप्ति में आगे कहा गया कि भारतीय किसान यूनियन के स्थानीय नेताओं से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले में संलिप्तता से इंकार किया । इस बीच राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है । हालात नहीं सुधरे तो आज आलू किसानों ने लखनऊ की सड़कों पर आलू फेंका है, कल गन्ना किसान यही काम कर सकते हैं और परसों गेहूं एवं धान के किसान ऐसा कर सकते हैं । दीक्षित ने कहा कि अगर हालात नहीं सुधरे तो उत्तर प्रदेश में मंदसौर जैसी ंिहसा हो सकती है ।उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि यह पूर्व नियोजित था क्योंकि जो आलू सड़कों पर फेंका गया, वह सड़ा हुआ था । यह योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि धूमिल करने का जानबूझकर किया गया प्रयास है ।