क्या आप जानते है. चारा घोटाले में जिनके पीआईएल से लालू यादव जेल गये वही आज उनकी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं

जब 90 के दशक में  कैग की रिपोर्ट ने चारा घोटाले का राजफाश किया तो कुल पांच लोगों ने कोर्ट में पीआईएल कर जांच की मांग की थी। इसमें  शिवानंद तिवारी, भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद, सरयू राय और काग्रेस नेता प्रेम चंद्र मिश्रा शामिल रहे। इन जनहित याचिकाओं के आधार पर पटना हाई कोर्ट ने मार्च 1996 में सीबीआई को चारा घोटाले की जांच के आदेश दिए। समय का फेर देखिए, अपने पीआईएल से जिस शिवानंद तिवारी ने लालू के लिए जेल का दरवाजा खोला, आज वही लालू की ही पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। चारा घोटाले से जुड़े तीन मामले में लालू के खिलाफ फैसला आया है, जिसके बाद राजद के अंदरखाने और बाहर भी शिवानंद तिवारी और उनकी याचिका को लेकर चर्चा हो रही है। अब इसे शिवानंद तिवारी की सियासी मजबूरी कहें या फिर कुछ और, अब उनके सुर बदल गए हैं। उनका कहना है कि लालू यादव के खिलाफ पीआईएल जीवन की सबसे बड़ी भूल थी, इसका उन्हें  पछतावा है।

उधर पार्टी के अंदरखाने कुछ नेता शिवानंद तिवारी पर इसको लेकर खुलेआम हमला बोल रहे हैं। राजद के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने पिछले दिनों कहा था कि शिवानंद तिवारी आज भले ही लालू के शुभचिंतक बन गए हैं, मगर उनका मकसद राजद और लालू परिवार को बिहार की राजनीति से उखाड़ फेंकने का है। संजय ने कहा था कि तिवारी न जाने किस जन्म का बदला लालू से ले रहे हैं। पहले याचिका दायर कर लालू को जेल भिजवाया और अब मरहम लगा रहे हैं।

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