उत्तराखंड के चार धामों की यात्रा के लिए पहला जत्था आज हरिद्वार से रवाना, प्रधानमंत्री भी जाने को तैयार

उत्तराखंड के चार धामों गंगोत्री, यमुनौत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा शुरू हो गई है। वैसे तो अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को गंगोत्री व यमुनौत्री के कपाट खुलने से चारधाम यात्रा की शुरुआत हो गई थी, परंतु केदारनाथ के कपाट 29 अप्रैल व बद्रीनाथ के कपाट 30 अप्रैल को खुलेंगे, लिहाजा चार धामों की यात्रा के लिए पहला जत्था आज हरिद्वार के मायादेवी मंदिर तथा ऋषिकेश के मायाकुंड से रवाना हुआ। पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा तीर्थयात्री आ सकते हैं। पिछले साल चार धामों के दर्शन के लिए 24 लाख 6000 तीर्थयात्री आए थे जबकि इस बार पर्यटन विभाग 30 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों के आने का अनुमान लगा रहा है। केदारनाथ के कपाट खुलने के वक्त 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 19 भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे। इससे चारों धामों की यात्रा को लेकर आकर्षण और ज्यादा बढ़ेगा। इस बार धार्मिक रूप से बद्रीनाथ की तीर्थयात्रा का खासा महत्व रहेगा क्योंकि ज्येष्ठ मास में अधिकमास यानी पुरुषोत्तम मास पड़ रहा है। इसलिए हरिद्वार, ऋषिकेश, जोशीमठ, बद्रीनाथ में श्रद्धालुओं ने आश्रम, धर्मशालाएं व होटल कई महीने पहले ही आरक्षित करवा लिए थे।

तीर्थ पुरोहित पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी का कहना है कि अधिकमास-पुरुषोत्तम मास में भागवत कथा के श्रवण से तीर्थयात्रा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। राज्य पर्यटन विभाग केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की मदद से सभी प्राचीन मंदिरों के एक तीर्थ सर्किट पर काम कर रहा है। इसमें चार धामों के अलावा गोपेश्वर महादेव मंदिर, बागेश्वर महादेव मंदिर, जागेश्वर महादेव मंदिर, चितई देवता (गोलज्यू देवता) का मंदिर, हेमकुंड साहिब, नानकमत्ता साहिब, रीठा साहिब और पिरान कलियर को एक साथ जोड़ा जाएगा। इससे तीर्थस्थलों के दर्शन आसानी से हो सकेंगे। पिछले साल पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने उत्तराखंड के चार धामों के अलावा हेमकुंड साहिब, नानकमत्ता साहिब, रीठा साहिब के दर्शनों के लिए ‘मेरे तीर्थ मेरे बुजुर्ग’ योजना शुरू की थी। इसके तहत बुजुर्गों को मुफ्त में प्रमुख तीर्थ स्थलों के दर्शन कराए जाने की व्यवस्था थी। परंतु मार्च 2017 में सूबे में भाजपा की सरकार आने पर इस योजना में परिवर्तन किया। जो बुजुर्ग मध्यम वर्ग व गरीबी रेखा से नीचे के हैं, अब केवल उन्हें ही मुफ्त दर्शन की सुविधा दी गई है।

2017 में बढ़ गए तीर्थयात्री: उत्तराखंड पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2013 में केदारनाथ में आई आपदा से पूर्व 2010 में चार धामों और हेमकुंड साहिब में 22 लाख 51 हजार 382, 2011 में 28 लाख 64 हजार 889, 2012 में 27 लाख 60 हजार 459 तीथर्यात्री आए थे, जबकि आपदा के वक्त 2013 में 13 लाख 51 हजार 414 तीथर्यात्री आए थे। आपदा के बाद 2014 में तीथर्यात्रियों की तादाद घटकर तीन लाख 28 हजार 187, 2015 में आठ लाख 72 हजार 81 रह गई थी। 2016 में केदारनाथ में जीर्णोंद्धार कार्य शुरू होने के बाद चार धामों में तीथर्यात्रियों की तादाद बढ़कर 15 लाख 13 हजार 545 तथा 2017 में यह 24 लाख 6048 हो गई। इस तरह केदारनाथ आपदा से उबरने में उत्तराखंड को तीन साल लगे।

तीन करोड़ 47 लाख पर्यटक: 2017 में उत्तराखंड के चार धामों के अलावा हेमकुंड साहिब देहरादून, ऋषिकेश, उधमसिंह नगर, मसूरी, पौड़ी, कोटद्वार, औली, फूलों की घाटी, टिहरी, उत्तरकाशी, हरिद्वार, अल्मोड़ा, रानीखेत, कौसानी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत, नैनीताल, जिम कार्बेट पार्क राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क समेत कुल 28 पर्यटन व तीर्थस्थलों में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की तादाद तीन करोड़ 47 लाख 23 हजार 199 रही। इनमें विदेशी पर्यटकों की तादाद एक लाख 42 हजार 102 थी। जबकि वर्ष 2015 में तीथर्यात्रियों पर्यटकों की तादाद दो करोड़ 94 लाख छह हजार 152 थी जिनमें विदेशी पर्यटक एक लाख 11 हजार 94 शामिल थे। वहीं, वर्ष 2016 में तीर्थयात्रियों-पर्यटकों की तादाद तीन करोड़ 17 लाख 76 हजार 581 थी। इनमें विदेशी पर्यटक एक लाख 12 हजार 799 थे।

चारों धाम के लिए बन रही सड़क: उत्तराखंड में चारों धामों और अन्य प्राचीन मंदिरों में सड़कों की हालत खस्ता है। केंद्र सरकार की पहल पर चारों धामों के लिए आॅलवेदर रोड बनाई जा रही है। इस पर तेजी से काम चल रहा है। परंतु मुजफ्फरनगर से हरिद्वार-ऋषिकेश और देहरादून को जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग निजी कंपनी की लापरवाही से अधूरा पड़ा है। इससे हरिद्वार में आने वाले तीर्थयात्री घंटों जाम में फंसे रहते हैं।

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