उत्तराखंड: विदेशी भी प्रसाद में पेड़े की जगह पेड़ बांटने में जुटे

हरिद्वार और ऋषिकेश के साधु-संतों के साथ-साथ विदेशियों ने भी गंगा स्वच्छता का बीड़ा उठाया है। गंगा के तट पर भगवा कपड़ों में साधु-संतों के साथ विदेशी भी गंगा के तट पर कूड़े के ढेर उठाते हुए दिख जाएंगे। बडेÞ उत्साह के साथ ये विदेशी गंगा के सफाई अभियान में जुटे हुए हैं।
परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती ‘मुनि’ की अगुवाई में शारदीय नवरात्र में नौ दिन तक पर्यावरण, गंगा स्वच्छता और संरक्षण अभियान चलाया गया। इसके तहत पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर विकास खंड से लेकर हरकी पैड़ी तक गंगा स्वच्छता अभियान चलाया गया है और गंगा के किनारे हजारों की तादाद में वनोषधी पौधे रौपे जा रहे हैं। इस मौके पर स्वामी चिदानंद मुनि ने साधु-संतों को नारा दिया-‘प्रसाद में पेड़े नहीं पेड़ बांटे’ इससे गंगा सफाई अभियान में लगे विदेशी प्रभावित हुए।

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में शारदीय नवरात्र के समापन के मौके पर दशहरे के दिन रावण दहन की बजाय विश्व शांति, पर्यावरण और गंगा शुद्धि यज्ञ का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी तादाद में साधु-संतों के अलावा विदेशियों ने भाग लिया। नौ दिन तक चली शक्ति साधना के समापन अवसर पर स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि नवरात्र आंतरिक शुद्धि नई ऊर्जा संचय करने का महापर्व है। आंतरिक शुद्धि के साथ-साथ बाहरी वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। देवालयों की स्थापना के साथ-साथ हमें शौचालय बनाने का भी अभियान चलाना होगा। जहां स्वच्छता का वास होता है, वहां भगवान का वास होता है।
ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और गंगा एक्शन परिवार के तत्वावधान में ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला से हरिद्वार तक के गंगा क्षेत्र को सात सैक्टरों में बांटकर गंगा स्वच्छता सेवा अभियान चलाया गया। इसके तहत गंगा के किनारे गुल्लर, नीम, गिलोय, आंवला, हरड़, बहेड़ा जैसे औषधीय पौधे लगाए जा रहे हैं। इससे गंगा जल में औषधीय पेड़ों के गुण भी समाहित हो सकें और गंगा जल फिर से जीवनदायिनी बन सके। ऋषिकेश से हरिद्वार तक गंगा सफाई के अभियान में शांतिकुंज संस्था भी जोरदार अभियान छेड़े हुए है। आजकल चल रहे गंगा स्वच्छता अभियान में यह देखने को मिल रहा है कि भारतीयों से ज्यादा विदेशियों को गंगा की चिंता है। ईशा फाउंडेशन के बैनर तले 30 दिन का नदी बचाओ अभियान तमिलनाडु के कोयंबटूर से 16 राज्यों का सफर तय करता हुआ हरिद्वार पहुंचा। गंगा, कृष्णा, कावेरी, नर्मदा, गोदावरी नदियों को बचाने का अभियान चलाया गया।

 

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