पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषापर जताई आपत्ति
पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पीएम नरेंद्र मोदी की लिखित शिकायत की है। मनमोहन सिंह ने चिट्ठी लिखकर राष्ट्रपति से पीएम मोदी को चेतावनी देने की मांग की है। पूर्व पीएम का कहना है कि प्रधानमंत्री धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो उनकी पद एवं गरिमा के अनुरूप नहीं है। पूर्व पीएम ने मांग की है कि राष्ट्रपति इस मामले में पीएम को वॉर्निंग दें। मनमोहन सिंह की दो पेज की चिट्ठी में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस लेटर पर राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत और दिग्विजय सिंह समेत अन्य कांग्रेस नेताओं के हस्ताक्षर हैं।
मनमोहन सिंह का कहना है कि पीएम मोदी कांग्रेस के नेता और अन्य पार्टियों के नेताओं के लिए धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करते हैं, जो कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे किसी व्यक्ति को शोभा नहीं देता। लेटर में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत पीएम मोदी ने 6 मई को हुबली में रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष के नेताओं के खिलाफ धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया था। कांग्रेसी नेताओं का आरोप है कि पीएम मोदी ने 6 मई को हुबली (कर्नाटक) की चुनावी रैली में कहा था, ”कांग्रेस के नेताओं कान खोलकर सुन लो अगर सीमाएं पार करोगे तो ये मोदी है, लेने के देने पड़ जाएंगे।”
चिट्ठी में लिखा है, ‘भारत के प्रधानमंत्री का संविधान के तहत एक बहुत ही विशेष दर्जा होता है। भारत के इतिहास में जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं उन्होंने अपने दायित्वों का अच्छी तरह से निर्वहन करते हुए किसी सार्वजनिक या निजी कार्यक्रमों में इस पद की गरिमा बनाए रखी है। हम ऐसा सोच भी नहीं सकते कि सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रधानमंत्री जनता के सामने विपक्ष के नेताओं के लिए धमकी भरी और भयभीत करने वाली भाषा का इस्तेमाल करेगा। पीएम मोदी ने 6 मई को कर्नाटक के हुबली में जो भाषण दिया था, उसमें उन्होंने विपक्ष के नेताओं के लिए धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया था। पीएम मोदी ने कांग्रेस के नेताओं के लिए जो धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल किया उसकी निंदा की जानी चाहिए। 1.3 बिलियन जनता के प्रधानमंत्री की भाषा ऐसी नहीं हो सकती। इस तरह की भाषा का इस्तेमाल न तो किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में और न ही किसी निजी कार्यक्रम में स्वीकार किया जाएगा।’ इसके अलावा लेटर में पीएम मोदी की 6 मई की स्पीच की वीडियो का लिंक भी मेंशन की गई है।