अनुपम खेर के FTII चेयरमैन बनने पर बोले छात्र- हमारे साथ फिर मजाक हुआ है

बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर को पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के चेयरमैन बनाए जाने पर स्टूडेंट्स में कोई खास खुशी दिखाई नहीं दे रही है। एफटीआईआई के स्टूडेंट्स ने सरकार के इस फैसले को एक मजाक बताया है। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक स्टूडेंट्स ने अनुपम खेर के अध्यक्ष बनने को एक मजाक बताया है। छात्रों का कहना है कि खेर को इंस्टीट्यूट का नया अध्यक्ष बनाकर सरकार ने हमारे साथ दूसरा मजाक किया है। 2015 में एफटीआईआई में गजेंद्र चौहान के चेयरमैन बनने पर हुए छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने वाले हरिशंकर नचिमुथू ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि अनुपम खेर को एफटीआईआई का चेयरमैन कैसे बनाया जा सकता है जबकि वह खुद एक प्राइवेट एक्टिंग स्कूल चला रहे हैं।

हरिशंकर का कहना है कि स्टूडेंट्स गजेंद्र चौहान और अनुपम खेर के बीच कोई बड़ा अंतर नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा कि अनुपम खेर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं और उनकी पत्नी किरण खेर चंडीगढ़ से बीजेपी की विधायक हैं, ऐसे में उन्हें सरकार से कुछ ऐसे ही फैसले की उम्मीद थी। इससे पहले भी संस्थान के छात्रों ने साल 2015 में गजेंद्र चौहान को संस्थान का चेयरमैन बनाए जाने पर कड़ा विरोध जाहिर किया था। गजेंद्र चौहान के अध्यक्ष बनने पर संस्थान के छात्रों ने करीब 139 दिनों का लंबा आंदोलन किया था।

बता दें कि 62 साल के अनुपम खेर को बुधवार के दिन एफटीआईआई का चेयरमैन चुना गया। खेर से पहले मशहूर टीवी एक्टर गजेंद्र चौहान इस पद पर थे, जिन्हें 9 जून 2015 में नियुक्त किया गया था। अनुपम खेर को अध्यक्ष चुने जाने पर पत्नी किरण खेर ने भी उन्हें बधाई दी है। उन्होंने कहा कि संस्थान का अध्यक्ष बनना कांटों के ताज पहनने जैसा है। मुझे यकीन है कि अनुपम अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाएंगे। अनुपम को साल 2004 में पद्मश्री और 2016 में पद्म भूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वह सारांश, डैडी, राम-लखन, लम्हे, खेल, दीवाने, दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मैंने गांधी को मारा सरीखी फिल्मों में अपनी काबिल-ए-तारीफ अदायगी के लिए आज भी जाने जाते हैं।

वहीं, गजेंद्र चौहान का कार्यकाल 3 मार्च 2017 को खत्म हो गया था। अपने 14 महीने के कार्यकाल के दौरान गजेंद्र चौहान सिर्फ एक बार ही संस्थान में किसी बैठक में शामिल होने गए थे। चौहान को एफटीआईआई का अध्यक्ष बनाए जाने पर छात्र-छात्राओं ने उनका काफी विरोध भी किया गया था। 139 दिनों तक एफटीआईआई के विद्यार्थियों ने हड़ताल की थी, जिनमें से कुछ छात्रों ने अनशन पर भी रहे थे। चौहान की काफी आलोचना उनके कैंपस से बाहर रहने को लेकर भी हुई थी। एफटीआईआई छात्रों के साथ-साथ फिल्मी जगत के कई कलाकारों ने भी गजेंद्र चौहान की काबिलियत पर सवाल खड़े करते हुए उन्हें संस्थान का उच्चतम पद देने का विरोध किया था। संस्थान के छात्रों ने पूणे से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक विरोध प्रदर्शन किया था, जिसकी वजह से चौहान अपने नियुक्ति के सात महीने तक अपना पदभार संभाल नहीं पाए थे।

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