गंगा को प्रदूषण मुक्‍त कराने के लिए 112 दिनों से अनशन पर बैठे आईआईटी प्रोफेसर अग्रवाल ने ली अंतिम साँस

गंगा नदी को प्रदूषण मुक्‍त कराने के लिए 112 दिनों से अनशन पर बैठे प्रोफेसर जीडी. अग्रवाल उर्फ स्‍वामी ज्ञान स्‍वरूप सानंद का कार्डियक अरेस्‍ट के कारण गुरुवार (11 अक्‍टूबर) को निधन हो गया। उन्‍होंने 10 अक्‍टूबर से पानी का भी त्‍याग कर दिया था। निधन से पहले जीडी अग्रवाल ने गंगा की साफ-सफाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीन खत लिखा था, लेकिन पीएम की ओर से एक भी चिट्ठी का जवाब नहीं आया। जीडी अग्रवाल ने तीसरे और अंतिम पत्र में पीएम मोदी के समक्ष चार मांगें रखी थीं। इसमें उन्‍होंने 22 जून से अनशन पर भी बैठने की बात कही थी।

17 साल तक आईआईटी कानपुर के सिविल एंड एन्वायरेन्मेंटल इंजीनियरिंग पढ़ा चुके प्रो. अग्रवाल ने न जाने कितने छात्रों को इस विषय के प्रति जागरूक किया. मीडिया और राजनीति को भी गंगा के बारे में बताया. वो गंगा के लिए भगीरथ बन कर आए थे मगर राजनीति और सिस्टम की उदासीनता ने उनकी जान ले ली. समाज भी उदासीन ही रहा. आईआईटी कानपुर का प्रोफेसर, 86 साल की उम्र में 111 दिनों का उपवास करे, उस गंगा को लेकर जिसके बहाने राजनीति और मीडिया दो मिनट में हिन्दू मुसलमान कर दे, लेकिन एक ईमानदार प्रयास के साथ कोई नहीं आया. न गंगा बची न जी डी अग्रवाल बच सके.

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके इस पत्र का भी संज्ञान नहीं लिया। आखिरकार अनशन के 112वें दिन उनका निधन हो गया। पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए ट्वीट किया कि गंगा के संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए गए योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

जीडी. अग्रवाल ने तीसरे और अंतिम पत्र में पीएम मोदी के समक्ष चार मांगें रखी थीं। उन्‍होंने वर्ष 2012 में गंगा महासभा द्वारा तैयार प्रारूप पर संसद में विधेयक लाकर कानून बनाने की मांग की थी। संसद में विधेयक को जल्‍द से जल्‍द पारित न करा पाने की स्थिति गंगा के संरक्षण और प्रबंधन पर अध्‍यादेश लाने का सुझाव दिया था। जीडी. अग्रवाल ने दूसरी मांग के तहत अलकनंदा, धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी नदियों पर बन रही जलविद्युत परियोजनाओं को अविलंब बंद करने का आदेश देने को कहा था। इसके अलावा प्रस्‍तावित परियोजनाओं को भी रद्द करने की मांग की थी। तीसरी मांग के तहत उन्‍होंने हरिद्वार कुंभ क्षेत्र में पेड़ों की कटाई, खनन और चमड़ा उद्योग-बूचड़खानों को बंद कराने की बात कही थी। चौथी मांग के तहत जीडी. अग्रवाल ने जून 2019 तक गंगा भक्‍त परिषद का गठन करने की मांग की थी। उन्‍होंने परिषद के लिए 20 सदस्‍यों को मनोनीत करने का आग्रह किया था। दिवंगत अग्रवाल ने कहा था कि इन गंगा भक्‍तों को गंगाजी में घुसकर नदी के लिए पूरे समर्पण के साथ काम करने का शपथ लेना होगा।

 

 

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