यह है पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर, कुंए को माना जाता है चमत्कारी
पाकिस्तान में स्थित हिंदू धर्म का तीसरा विशाल मंदिर गौरी मंदिर है। ये मंदिर सिंध प्रांत के थारपारकर जिले में स्थित है। पाकिस्तान के इस जिले में अधिकतर मुस्लिमों की संख्या है और इनमें से अधिकतर आदिवासी हैं। पाकिस्तान के मूल लोग इन्हें थारी हिंदू कहते हैं। मान्यता है कि ये गौरी मंदिर मूल रुप से जैन मंदिर है। लेकिन इसमें अधिकतर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर की स्थापत्य शैली राजस्थान और गुजरात की सीमा पर बसे माउंट आबू के मंदिरों जैसी है। इस मंदिर की स्थापना 16 वीं सदी के आस-पास की मानी जाती है। थार के बाकि जगहों की अपेक्षा इस सफेद पत्थर से बने मंदिर में शायद ही अब कोई पूजा होती होगी। इस मंदिर के पास के गांव को गौरी गांव भी कहा जाता है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर के निर्माण के लिए मान्यता है कि इस मंदिर को एक अमीर हिंदू व्यापारी ने भगवान पार्शवनाथ के लिए बनवाया था। भगवान पार्शवनाथ जैन धर्म के 23 अनुयायी माने जाते हैं। लेकिन पाकिस्तान में शायद ही अब कोई जैन धर्म के लोग हों जो इस मंदिर का रख-रखाव करें। वास्तुकला का अद्भुत नमूना एक रहस्मयी जगह बनकर रह गया है। ये मंदिर किसी और संस्कृति का नमूना भी माना जा सकता है क्योंकि इसकी वास्तुकला मिली-जुली हुई है। इस मंदिर की दिवारें मार्बल से सीढ़ीनुमाकार में बनी हुई हैं। मंदिर की गुमंद की छत के ऊपर नक्काशी की हुई है जो रख-रखाव की कमी के कारण अब हल्की होती जा रही है।
इस मंदिर के पास एक कुंआ है जिसे वहां के स्थानीय लोग जादुई मानते हैं। इसे मारवी जो कुंह के नाम से जाना जाता है। वहां के स्थानीयों के अनुसार मान्यता है कि एक थारी महिला का राजा उमेर ने अपहरण कर लिया था। वो महिला इसी कुंए के पास थी, जब उसका अपहरण किया गया। इसलिए माना जाता है कि ये कुंआ कभी भी नहीं सूखता है। इसके साथ ही इसका पानी भी एकदम साफ है, ऐसा लगता है कि हमेशा से इसका रख-रखाव किया गया है। माना जाता है कि मारवी नाम की महिला आज भी इस स्थान पर रहती है। गौरी के मंदिर के लिए लोगों का मानना है कि माता गौरी के आर्शीवाद से ये कुंआ कभी नहीं सूखता है।