महिलाओं को है परायों से ज्यादा अपने सगे-संबंंधियों से खतरा: NCRB रिपोर्ट
यौन अपराधों के मामले में देश की बच्चियां और महिलाएं पराये लोगों के मुकाबले अपने सगे-संबंधियों और जान-पहचान के लोगों से कहीं ज्यादा असुरक्षित हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट सामाजिक गिरावट के इस रुख की तसदीक करती है। इसके आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2016 में बलात्कार के 94.6 फीसद पंजीबद्ध मामलों में आरोपी कोई और नहीं, बल्कि पीड़िताओं के परिचित थे जिनमें उनके दादा, पिता, भाई और बेटे तक शामिल हैं।
एनसीआरबी की सालाना रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2016’ के मुताबिक देश में पिछले साल लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट), भारतीय दंड विधान (आइपीसी) की धारा 376 और इसकी अन्य संबद्ध धाराओं के तहत बलात्कार के कुल 38,947 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 36,859 प्रकरणों में पीड़ित बच्चियों और महिलाओं के परिचितों पर उन्हें हवस का शिकार बनाने के इल्जाम लगे।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2016 में बलात्कार के 630 मामलों में पीड़िताओं के साथ उनके दादा, पिता, भाई और बेटे ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया, जबकि 1,087 प्रकरणों में उनके अन्य नजदीकी संबंधियों पर उनकी अस्मत को तार-तार करने के आरोप लगे। पिछले साल 2,174 मामलों में पीड़ित बच्चियों और महिलाओं के रिश्तेदार इनसे बलात्कार के आरोप की जद में आए, जबकि 10,520 प्रकरणों में पीड़िताओं के पड़ोसियों पर दुष्कृत्य की प्राथमिकी दर्ज कराई गई। नियोक्ताओं और सहकर्मियों पर 600 मामलों में बलात्कार का आरोप लगा।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इन आंकड़ों पर चिंता जताते हुए कहा, ‘हमारे समाज में लड़कियों पर हमेशा से तमाम पाबंदियां लगाई जाती रही हैं। लेकिन यह सब बहुत हो गया। अब वक्त आ गया है कि हर घर में लड़कों को बचपन से ही सिखाया जाए कि उन्हें देश के सामाजिक मूल्यों के मुताबिक अपने परिवार और इससे बाहर की बच्चियों तथा महिलाओं से किस तरह बर्ताव करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री आसानी से उपलब्ध है। ऐसे में लड़कों की सोच को गंदी होने से बचाने के लिए उनके माता-पिताओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे मोबाइल फोन और कम्प्यूटर पर क्या देख रहे हैं।