गोल्डन टेम्पल के निर्माण में लगा था 300 करोड़ों का सोना, जानें क्या है तमिलनाडु के इस मंदिर की विशेषता

तमिलनाडु के शहर चैन्नई से 150 कि.मी की दूरी पर स्थित वेल्लोर नगर के 5 हजार की आबादी वाले कस्बे श्रीपुरम नाम के कस्बे में स्थित है तमिलनाडु का गोल्डन टेम्पल। अमृतसर में स्थित गोल्डन टेम्पल जैसा माता लक्ष्मी नारायणी का मंदिर बहुत ही कम समय में इतना प्रख्यात हो गया है कि देशी के साथ विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ खींच रहा है। इस मंदिर को बनाने के लिए करीब 15 हजार किलो सोने का प्रयोग किया गया है। तमिलनाडु के स्वर्ण मंदिर के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई थी।

माता लक्ष्मी के इस मंदिर को स्वर्ग का हिस्सा माना जाता है, क्योंकि इस स्थान की सुंदरता के आगे कोई स्थान नहीं है। मंदिर में सोने की दीवारों के साथ माता महालक्ष्मी की 70 किलो की सोने की ठोस मूर्ति है। इस मूर्ति को देखकर लगता है कि साक्षात देवी सामने विराजमान बैठी हैं। इस मंदिर की अन्य विशेषता है कि यहां पर राष्ट्रपति भवन, लोकसभा और अन्य सरकारी इमारतों की तरह तिरंगा झंडा फहराया जाता है। इस मंदिर का प्रतीक है कि ये हर धर्म के भक्तों के लिए खुला हुआ है। इस मंदिर में स्थापित महालक्ष्मी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा यहां के पुजारी श्री शक्ति अम्मा के तप के कारण ही हुई थी।

100 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में फैले इस मंदिर में हर जगह हरियाली नजर आती है। मंदिर के अंदर और बाहर सजावट के लिए सोने का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया गया है। विश्व के किसी भी मंदिर के निर्माण में इस मात्रा में सोने का प्रयोग नहीं किया गया है। इस मंदिर के परिसर में देश की सभी प्रमुख नदियों से पानी लाकर सर्व तीर्थम सरोवर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है। श्री शक्ति अम्मा इस मंदिर में आने वाले दान से गरीब बच्चों की शिक्षा, गरीब कन्याओं का विवाह, गरीबों और परेशान लोगों का इलाज और त्रासदी से समय लोगों तक भोजन पहुंचाती हैं।

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