आज है भारतीय फिल्मों को जादूगर दादा साहब फाल्के की 148 वीं जयंती, Google ने दी श्रधांजली

Google ने डूडल बनाकर सोमवार(30अप्रैल) को भारतीय फिल्मों को जादूगर दादा साहब फाल्के को उनकी 148 वीं जयंती पर याद किया। गूगल की ओर से देश-विदेश की तमाम हस्तियों को डूडल बनाकर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व से परिचित कराने की कोशिश होती है। दादा साहब फाल्के के नाम पर भारत सरकार सिनेमा जगत की हस्तियों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देती है।
जीवनीः 30 अप्रैल 1870 को दादा साहब फाल्के नासिक के नजदीक त्रयंबकेश्वर तीर्थ स्थल पर एक मराठी ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम धुंडीराज गोविंद फालके था। पिता नासिक के जाने-माने विद्वान थे तो फालके को बचपन से ही कला में रुचि थी।15 साल की उम्र में उन्होंने उस जमाने में मुंबई के सबसे बड़े कला शिक्षा केंद्र J. J. School of Art में दाखिला लिया। फिर उन्होंने महाराजा सायाजीराव यूनिवर्सिटी में दाखिला लेकर चित्रकला के साथ फोटोग्राफी और स्थापत्य कला की भी पढ़ाई की।

पढ़ाई पूरी होने के बाद फालके ने फोटोग्राफी शुरू कर दी। मकसद दो जून की रोटी कमाने का भी था। गोधरा से उन्होंने फोटोग्राफी व्यवसाय शुरू की। मगर प्लेग से पत्नी और बच्चे की मौत पर उन्हें बीच में ही काम छोड़ना पड़ गया। सदमे से उबरने के बाद फाल्के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में मानचित्रकार बने। इस बीच स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ तो 1905 में राजकीय सेवा से रिटायर हो गए।फिर उन्होंने फिल्म पर फोकस किया। 1913 की फिल्म राजा हरिश्चंद्र से उन्होंने फिल्मी करियर की शुरुआत की। भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह पहली फीचर फिल्म है। इसके बाद हर ढंग की फिल्में कीं।1937 तक उन्होंने 95 फिल्में और 26 शॉर्ट फिल्म्स बनाई।

भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को देखते हुए केंद्र सरकार ने 1969 को उनके नाम पर फालके अवॉर्ड शुरू किया। भारतीय सिनेमा का यह सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार उन हस्तियों को दिया जाता है, जो सिनेमा जगत में उल्लेखनीय योगदान देते हैं।वर्ष 1969 में पहला पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया था। कमेटी की सिफारिश पर यह सम्मान मिलता है। 1971 में भारत सरकार ने उन पर एक डाक टिकट भी जारी किया।

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