मशहूर गीतकार और कवि गोपाल दास नीरज का दिल्ली के एम्स में हुआ निधन

हिंदी के मशहूर गीतकार और कवि गोपाल दास नीरज का गुरुवार को दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज में देर शाम 7:50 बजे निधन हो गया। मंगलवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें आगरा के लोटस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, लेकिन तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें एम्स लाया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरवली गांव में चार जनवरी, 1925 को जन्मे गोपाल दास नीरज हिंदी मंचों के प्रसिद्ध कवियों में शुमार थे। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों को भी कई सुपरहिट गाने दिए। उन्हें उनकी रचनाओं के लिए कई बार सम्मानित किया गया था।

नीरज को 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यश भारती सम्मान से भी सम्मानित किया गया। गोपालदास को सांस लेने में तकलीफ थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बुधवार को तबीयत में सुधार की भी खबरें आई थीं, लेकिन गोपालदास ने आखिर में दुनिया को अलविदा कह ही दिया।

वहीं कवि नीरज के निधन की सूचना पर साहित्य व कला जगत में शोक छाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अपने जारी बयान में योगी ने कहा कि नीरज ने अपनी काव्य रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। उन्हें भावनाओं और अनुभूतियों को व्यक्त करने में दक्षता हासिल थी। हिंदी फिल्मों के लिए नीरज द्वारा लिखे गए गीत आज भी लोकप्रिय हैं। गोपाल दास ‘नीरज’ के निधन से साहित्य जगत को जो हानि हुई है, उसकी भरपाई होना कठिन है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है।

बता दें कि हिंदी सिनेमा में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए उन्हें तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।  उन्होंने बॉलिवुड के लिए कई अमर गीत जैसे कि कारवां गुजर गया, मेरा नाम जोकर फिल्म का गीत ‘ऐ भाई जरा देखके चलो’, शर्मीली फिल्म में ‘खिलते हैं गुल यहां…’ भी लिखा। फिल्मी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने के बाद वह वापस अलीगढ़ चले आए थे।

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