ब्लू व्हेल गेम के लिए रेडियो जिंगल से बच्चों को करेंगे जागरूक

पंचकूला के 11 साल के करण ठाकुर की कथित खुदकुशी ने ब्लू व्हेल पर पिछले दो महीने में केंद्र और राज्यस्तर पर उठाए गए सारे कदमों और स्कूलों व माता-पिता कोेदी गई नसीहतों को नाकाफी साबित कर दिया और सवाल छोड़ गया कि आखिर चूक कहां हो रही है? बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के सर्वोच्च निकाय एनसीपीसीआर (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) के मुताबिक जागरूकता ही समाधान है, जबकि मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि मुद्दे को ब्लू व्हेल तक सीमित करके देखने के बजाय मोबाइल की लत और गेम की आड़ में आत्महत्या जैसा कदम पर एक व्यापक अध्ययन की जरूरत है।
ब्लू व्हेल के प्रभाव में करण की मौत से उठे सवालों को जब एनसीपीसीआर के समक्ष रखा गया तो आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो का कहना था कि जागरूकता इसका एकमात्र समाधान है। बकौल कानूनगो आयोग जागरूकता के लिए रेडियो जिंगल तैयार कर रहा है जिसे अक्तूबर तक जारी किए जाने की संभावना है। स्कूलों ने इस पहल का स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है कि जिंगल में केवल गेम नहीं बल्कि उन तमाम मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए जिससे आज का बच्चा मनोवैज्ञानिक स्तर पर गुजर रहा है, खासकर तब जब आस-पास का माहौल घृणा और क्रोध से भरा है। एनसीपीसीआर और यूनीसेफ पहले ही परामर्श जारी कर स्कूलों और माता-पिता को सचेत कर चुके हैं।

जानी-मानी मनोवैज्ञानिक अरुणा ब्रूटा का कहना है कि जरूरत आज के बच्चों के मनोविज्ञान को समझने की है। ब्रूटा के मुताबिक, ‘गेम से भी पहले की समस्या मोबाइल फोन है जो बच्चों में लत बनता जा रहा है, उसी की उपज है ब्लू व्हेल’। अरुणा ने कहा, ‘आज का बच्चा जरूरत से ज्यादा आजादी पसंद है, माता-पिता से डरता नहीं, उल्टे पढ़ाई को लेकर ब्लैकमेल करता है। यहां जरूरी है कि माता-पिता डरे नहीं और बच्चों में मोबाइल की लत को समझें’। साथ ही ब्रूटा ने कहा, ‘जिस तरह से जागरूकता के लिए बच्चों को कहा जा रहा है कि ब्लू व्हेल से बचें, दूर रहें, लेकिन यह बात एक तरह से उनमें जिज्ञासा पैदा कर रही है, क्योंकि बच्चों में प्रवृति होती है कि जिसकी मनाही है वे उसे ही करने को उतावले होते हैं।माउंट कार्मेल स्कूल्स के डीन डॉ माइकेल विलियम्स का कहना है कि ब्लू व्हेल के मुद्दे पर स्कूल में शिक्षक और परामर्शदाताओं ने बच्चों से गहराई से बातचीत की है। उन्होंने यह जानने की लगातार कोशिश है कि कहीं कोई बच्चा या स्कूल का कोई अन्य चोरी-छुपे इस गेम में शामिल तो नहीं है। डॉ विलियम्स का कहना है कि इस मुद्दे पर स्कूल के अंदर कार्यशाला भी की गई और स्कूल स्टाफ में जागरूकता और सजगता बढ़ाने की कोशिश भी हो रही है।

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