नरोदा दंगा: कोर्ट सख्त हुआ तो हाजिर हुए अमित शाह, क्या दी गवाही, जानिए
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार (18 सितंबर) को साल 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े एक मामले में मुख्य आरोपी माया कोडनानी के पक्ष में गवाही दी। अहमदाबाद के नरोदा गाम में 28 फरवरी 2002 को हुए दंगे में 11 मुस्लिम मारे गये थे। माया कोडनानी ने एसआईटी की विशेष अदालत में कहा था कि वो दंगे के दिन नरोदा गाम में नहीं थीं। गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी कोडनानी ने अपने पक्ष में गवाह के तौर पर अमित शाह को पेश करवाया। अमित शाह ने अदालत से कहा, “माया कोडनानी सुबह 8.30 बजे विधान सभा में थीं। वो उस समय नरोदा गाम में नहीं थीं…सुबह 9.30 से 9.45 बचे तक मैं सिविल अस्पताल में था जहां मुझे माया कोडनानी मिलीं। जब मैंने अस्पताल छोड़ा तो लोगों से घिरा हुआ था। माया कोडनानी और मुझे हमारी कार तक पुलिस जीप में ले जाया गया। उस समय दोपहर के 11-11.15 बज रहे थे।”
कोडनानी ने अदालत से कहा है कि वो दंगे के समय सोला सिविल अस्पताल में थीं और उससे पहले वो विधान सभा गयी थीं। माया कोडनानी के अनुसार उस समय गुजरात से विधायक अमित शाह भी सोला सिविल अस्पताल में थे। गोधरा ट्रेन स्टेशन पर साबरमती ट्रेन की एक बोगी में लगाई गयी आग में मारे जाने वाले "कारसेवकों" का शव इसी अस्पताल में लाया गया था।
पेशे से डॉक्टर माया कोडनानी को पहले ही नरोदा पटिया में हुए दंगे के मामले में दोषी पाते हुए 28 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है। नरोदा पटिया में 97 लोग मारे गये थे। कोडनानी फिलहाल जमानत पर रिहा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी अदालत को चार महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरा करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले अमित शाह को गवाही के लिए समन जारी नहीं किया जा सका क्योंकि माया कोडनानी के वकील ने अदालत में समन भेजने के लिए अमित शाह का पता नहीं दर्ज कराया था। अदालत ने इसके लिए माया कोडनानी को फटकार भी लगायी। अदालत ने कोडनानी के वकील से कहा था कि या तो अमित शाह खुद हाजिर हों या अपने वकील के जरिए अपना बयान अदालत में दर्ज कराएं। इसके बाद सोमवार को शाह अदालत में हाजिर हुए।
माया कोडनानी 1998 के गुजरात चुनाव में नरोदा विधान सभा से विधायक चुनी गई थीं। कोडनानी ने साल 2002 और 2007 में भी नरोदा सीट से चुनाव जीता। साल 2007 में वो नरेंद्र मोदी कैबिनेट में महिला और बाल कल्याण मंत्री बनीं। लेकिन नरोदा पटिया दंगे में अभियुक्त बनाए जाने के बाद साल 2009 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। साल 2002 में 27 फरवरी को अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में गोधरा रेलवे स्टेशन पर आग लगा दी गयी जिसमें 58 लोगों की मौत हो गयी। इसके बाद अगले तीन दिनों तक गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में भयानक दंगे हुए जिनमें करीब 1200 लोग मारे गये।