Gujarat Election 2017: बीजेपी की 100 से कम सीटें आने का जीरो चांस

बिहार और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की सटीक भविष्यवाणी करने वाले सुरजीत एस. भल्ला ने गुजरात चुनाव के बारे में दिलचस्प पूर्वानुमान लगाया है। उनका कहना है कि गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा को सौ से कम सीटें आने के जीरो चांस हैं। लेकिन, 130 से ज्यादा सीटें भी नहीं आएंगी। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 150 सीटें आने की भविष्यवाणी सही नहीं होने जा रही है। इसको लेकर उन्होंने अपने विश्लेषण के आधार पर आंकड़े भी दिए हैं।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम में उन्होंने गुजरात विधानसभा में भाजपा के जीतने की बात कही है। भल्ला के अनुसार, मीडिया ने चार अलग-अलग मॉडल के आधार पर भाजपा को 120-130 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुजरात में सत्तारूढ़ दल आसानी से लक्ष्य को हासिल कर लेगी। गुजरात विधानसभा में 182 सीटें हैं। ऐसे में अगर भाजपा सौ से कम सीटें लाकर चुनाव जीतती है तो इसका अर्थ उसकी हार से ही लगाया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो चुनाव के बाद मीडिया, राजनीतिज्ञों और अर्थशास्त्रियों के बीच विश्लेषण का मुद्दा आर्थिक (विकास) रहेगा। इस माहौल में ब्याज दरों को लेकर आरबीआई भी निशाने पर रहेगा। अब तक के इंडीकेटर्स से पता चलता है कि गुजरात में भाजपा की हार बहुत बड़ा उलट-फेर होगी। साथ ही सत्तारूढ़ दल को 105 से कम सीटें मिलना भी चौंकाने वाला होगा।

गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 को लेकर जारी किए गए पूर्वानुमान। (सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस)

सीएसडीएस ने भी भाजपा के न हारने के संकेत दिए हैं। मतदान से भी भाजपा की जीत के संकेत मिलते हैं। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि मतदान में वृदि्ध से चुनौती देने वाले की स्थिति मजबूत होती है। जबकि इसमें गिरावट से सत्तारूढ़ दल को लाभ मिलता है। गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में वर्ष 2012 की तुलना में मतदान प्रतिशत में 3-4 फीसद की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में 2017 का चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में रहने की उम्मीद है।

भाजपा के जीतने की स्थिति में भी विपक्ष के पास अर्थव्यवस्था ही एकमात्र हथियार होगा। नोटबंदी के फैसले का एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। जीएसटी से कर संग्रह में सुधार होने की उम्मीद है। वहीं, आरबीआई ने अगले तीन महीनों में जीडीपी की रफ्तार 7.8 रहने अनुमान लगाया है। यदि ऐसा होता है तो विपक्ष के पास अर्थव्यवस्था का मजबूत हथियार भी नहीं रहेगा और अगर ऐसा नहीं होता है तो विपक्ष मजबूती से डटा रहेगा।

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