इस मंदिर में स्थापित है हजारों साल पुराना शिवलिंग, जानिए सिर्फ शिवरात्रि पर क्यों आते हैं भक्त
भगवान शिव को देवों का देव माना जाता है, पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव सृष्टि के निर्माण के समय प्रकट हुए थे। भगवान शिव का ध्यान करने से ही एक ऐसी छवि उभरती है जिसमें वैराग है। इस छवि के हाथ में त्रिशूल, वहीं दूसरे हाथ में डमरु, गले में सांप और सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है। भगवान शिव अपने क्रोध के कारण विनाशकारी भी माने जाते हैं लेकिन वो नवनिर्माण के देवता माने जाते हैं। सभी देवों के ऊपर उन्हें माना जाता है। बुराई की वृद्धि होती है वो पूरी सृष्टि समाप्त कर देते हैं जिससे नए युग का प्रारंभ हो सके। भगवान शिव के अस्तित्व का प्रतीक गुजरात के ऐसे ही एक मंदिर में पाया जाता है।
भगवान शिव को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वो अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांच्छित फल देते हैं। उन्हीं भक्तों के विश्वास के लिए और शिव के अस्तित्व का परिचायक गुजरात के मंदिर में 5 हजार साल पुराना शिवलिंग स्थापित किया गया है। माना जाता है कि गुजरात के मोसाद के पास एक मंदिर में शिवलिंग स्थापित है जिसे 5 हजार वर्ष पुराना माना जाता है। ये शिवलिंग 1940 में खुदाई के दौरान मिला था और इसके साथ कई चीजें भी पाई गई थीं। जांच में इस शिवलिंग को हजारों वर्षों पुराना बताया गया था।
भगवान शिव के इस मंदिर को जलेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर गुजरात के नर्मदा जिले के देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित है। भगवान शिव का ये मंदिर पूरना नदी के पास स्थित है। ये नदी पूर्व दिशा की तरफ बहती है जिसके कारण इसे पूर्वा नदी के नाम से भी जाना जाता है। शिवरात्रि के दिन और सोमवार को भगवान शिव की भक्ति के लिए भक्त आते हैं, इसके अलावा इतना बड़ा इतिहास रखने के बाद भी क्यों इतने कम भक्त आते हैं।