ये हैं गुरु गोविंद सिंह के ये 9 अनमोल वचन

गुरु गोविंद सिंह सिख समुदाय के दसवें गुरु माने जाते हैं। जूलियन कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में सतगुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। हिंदी कैलेंडर के अनुसार सप्तमी पौष, शुक्ल पक्ष, विक्रम संवत 1723 को गोविंद सिंह जी का जन्म माना जाता है। नानकशाही कैलेंडर के निर्माण के बाद गुरु गोविंद सिंह जयंती 5 जनवरी को मनाई जाने लगी। सिख समुदाय के बीच गुरु गोविंद सिंह के जन्म उत्सव को ‘गुरु गोविंद जयंती’ या ‘गुरु पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष गुरु गोविंद सिंह की 351वीं जयंती मनाई जा रही है।

खालसा पंथ की स्थापना करने वाले गुरु गोविंद का जन्म गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के यहां हुआ था। पटना साहिब (जन्म स्थल), आनंदपुर साहिब (गुरुद्वारा केशगढ़) आदि स्थानों पर गुरु गोविंद सिंह जयंती बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। 1699 में बैसाखी के दिन ही उन्होनें खालसा पंथ की स्थापना की थी, सिखों के लिए ये महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त और अध्यात्मिक नेता माने जाते थे। गुरु गोविंद सिंह ने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब की रचना को पूरा किया था। इसी के बाद उन्हें गुरु रुप में सुशोभित किया गया। गुरु गोविंद साहिब ने 17 वीं शताब्दी में शिक्षा देते हुए कई ऐसी बातें बताई जो आज भी हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

1. कम करन विच दरीदार नहीं करना- इसका अर्थ है कि अपने काम को पूरी ईमानदारी से करें। किसी भी काम को पूरा करते समय कोताही नहीं करनी चाहिए।
2. किसी दि निंदा, चुगली, अतै इर्खा नै करना- किसी की चुगली, निंदा न करें और किसी के काम से ईर्ष्या करने से बचें।
3. बचन करकै पालना- किसी को भी दिए हुए अपने वचनों का पालन करें और कभी भी वादा करके नहीं भूलें।
4. धन, जवानी, तै कुल जात दा अभिमान नै करना- अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर किसी भी तरह का घमंड नहीं करें।
5. जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना- हमेशा नशे और तंबाकू के सेवन से दूर रहें।
6. धरम दी किरत करनी- अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं।
7. दसवंड देना- हमेशा ध्यान रखें कि अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान करें।
8. गुरुबानी कंठ करना- जिस भी शक्ति या गुरु को मानते हैं उसकी गुरुबानी अपने कंठ में बसा लें।
9. शस्त्र विद्या अतै घोड़े दी सवारी दा अभ्यास करना- खुद को हमेशा सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने का प्रयास करें। इसका अगर आज के संदर्भ में जरुरत देखें तो अपने को स्वस्थ्य रखने के लिए व्यायाम करें और सेहतमंद भोजन ग्रहण करें।

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