हमास के चंगुल से छुड़ाए गए बंधक की दास्तान, परिजनों ने बताया ‘चमत्कार’

बीते शनिवार को सेंट्रल ग़ज़ा में हमास के कब्ज़े से नाटकीय तरीक़े से छुड़ाए गए चार बंधकों में से एक बंधक के पिता माइकल कोज़लोव कहते हैं, “उन्हें फुसफुसाकर बोलने के लिए मजबूर किया गया था.”

रशियन इसराइली एंद्रे के परिजनों के लिए इसराइली स्पेशल फ़ोर्स की ‘डायमंड’ कोडनेम से चलाए गए अभियान के नतीजे किसी ‘चमत्कार’ से कम नहीं थे.

बीबीसी से बात करते हुए यूजेनिया और माइकल कोज़लोव ने अपने बेटे की रिहाई की जानकारी मिलने और आठ महीने तक जिन कठिनाई का सामना किया, उसके बारे में बताया.

इसराइली मिलिटरी की ओर से जारी किए गए बॉडीकैम के फ़ुटेज में दिखता है कि जब सुरक्षाकर्मी उस कमरे में पहुंचे, जहाँ उन्हें बंधक बनाया गया था तो 27 साल के एंद्रे और एक और बंधक डरे सहमे हाथ पकड़े हुए थे और कुशन के बीच छिपे हुए थे.

यूजेनिया कोज़लोव कहते हैं कि, आश्चर्यजनक रूप से महीनों तक बंधक बनाने वालों के ब्रेनवॉश की कोशिशों के बाद, जब टीम छुड़ाने पहुंची तो बंधकों को नहीं पता था कि उन्हें ‘मारने की योजना है या बचाने की.’

इन लोगों को बताया गया था कि जो लोग बंधक बनाए गए हैं, उन्हें इसराइली भूल चुके हैं कि इसराइली प्रशासन उन्हें समस्या मानता था और अगर उनकी मौजूदगी पता चलती है तो उनसे छुटकारा पाने के लिए निशाना भी बनाया जा सकता है.

माइकल कोज़लोव कहते हैं कि उनके बेटे और अन्य बंधकों को बताया गया था कि वो धीमी आवाज़ में बोलें क्योंकि उनकी सुरक्षा में लगे गार्डों के अनुसार, “एक जासूसी करने वाले विमान- एक ड्रोन- आवाज़ सुन रहा है और वे हिब्रू में जो कुछ कह रहे थे, उन्हें सुन रहा था.”

कोज़लोव के अनुसार, “इसने इतना गहरा सदमा दिया था कि उन्हें उनकी बातों पर कुछ हद तक भरोसा हो गया था. जब तक उसे बचा नहीं लिया गया उसे भरोसा नहीं हो रहा था.”

ग़ज़ा के नुसेरत कैंप से एंद्रे के अलावा तीन अन्य बंधकों नोआ अरगामानी, अल्मोग मीर जान और श्लोमी ज़ीव को छुड़ाया गया.

इन्हें 7 अक्टूबर की सुबह नोव म्युज़िल फ़ेस्टिवल से अगवा किया गया था.

वो वहां एक सिक्यॉरिटी गॉर्ड के रूप में काम कर रहे थे और महज 18 महीने पहले रूस से इसराइल आए थे.

यूजेनिया कोज़ोलव मुख्य रूप से सेंट पीटर्सबर्ग में रहती हैं और बंधकों के परिवारों की रैली में शामिल होने, राजनेताओं और सेना के प्रतिनिधियों से मिलने के लिए वो नियमित तौर पर आती रहती थीं.

इस बार भी वो तेल अवीव के लिए रवाना होने वाली थीं कि इसराइली अधिकारियों ने टेलीफ़ोन कर उन्हें उनके बेटे के बारे में बताया.

वो याद करती हैं, “मैंने सोचा यह बुरी ख़बर है और मैं चिल्लाने लगी. मैं अपना फ़ोन फ़ेंक दिया जो मेज के नीचे कहीं जा गिरा. लेकिन फ़ोन से लगातार आवाज़ आ रही थी- हमारे पास अच्छी ख़बर है.”

“मैंने मेज के नीचे से फ़ोन उठाया और कहा- क्या कह रहे हैं?”

“उधर से आवाज़ आई- बहुत बढ़िया ख़बर हैः एंद्रे रिहा हो गए थे. मेरी अंग्रेज़ी उतनी अचछी नहीं है. मैंने उनसे दुहराने के लिए कहा.”

दोनों इस बात से चिंतित थे कि एंद्रे कैसे दिख रहे होंगे लेकिन जब वीडियो कॉल पर उन्हें देखा तो उन्हें चैन आया, वो ठीक नज़र आ रहे थे.

उनकी मां कहती हैं, “वो खुलकर हँसा, मज़ाक किया. ग़ज़ा से आने के तीन घंटे बाद ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई थी.”

वो कहती हैं, “वो जेल में था, वो क़ैदी था, लेकिन कुछ घंटे बाद ही, उसने ख़ुद को इसराइली ज़मीन पर पाया.”

कोज़लोव ने इस बारे में और कोई जानकारी नहीं दी कि उनके बेटे ने रिहाई के हालात के बारे में उनसे क्या कहा.

लेकिन जब तीन पुरुष बंधकों को नुसेरत रेफ़्यूजी कैंप के एक फ़ैमिली अपार्टमेंट से छुड़ाया गया तो इसराइली सेना ने कहा कि हमास गार्ड के साथ उनकी लड़ाई हुई.

इसराइली अधिकारियों के अनुसार, बंधकों और गंभीर रूप से घायल स्पेशल फ़ोर्स के अधिकारियों को बाहर निकालने के जो लॉरी इस्तेमाल की गई, वो कबाड़ हो गई थी, तभी हथियारबंद लोगों ने उसे घेर लिया.

इसराइली एयर फ़ोर्स की ओर से भारी बमबारी की गई ताकि बचावकर्मियों को बाहर निकलने के लिए समय और कवर मिल सके.

ग़ज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जबसे युद्ध शुरू हुआ है, यह घटना सबसे अधिक ख़ून ख़राबे वाली थी और 270 फ़लस्तीनी मारे गए.

हालांकि इसराइली सेना का कहना है कि इस ऑपरेशन में 100 से कम लोग मारे गए. उसने नागरिक मौतों के लिए हमास को ज़िम्मेदार ठहराया क्योंकि उसने बंधकों को घनी आबादी वाले इलाक़े में छुपा रखा था.

एंद्रे की मां लड़खड़ाती आवाज़ में कहती हैं, “दो महीने तक उसके हाथ और पांव बांध कर रखे गए थे.”

चूंकि “जानवारों की तरह खाना खाने” से एंद्रे को नफ़रत थी, इसलिए वो अपने हाथों को पीछे से झटका देकर सामने लाने की कोशिश करते.

उनके पिता कहते हैं, “आख़िरकार जब उनके हाथ सामने से बंधे तो उन्होंने इसे ग़ज़ा का उपहार माना.”

माइकल कोज़लोव कहते हैं कि अगवा करने वाले ‘अपमानित करते और पीटते’ थे, लेकिन इसके अलावा और भी क्रूरता थी.

यूजेनिया कहती हैं, “वे हमेशा मानसिक दबाव में थे. तुम्हारी मां छुट्टियों पर ग्रीस जा चुकी हैं. हम जानते हैं. हमने देखा था. तुम्हारी पत्नी दूसरे के साथ डेट कर रही है.”

इस नाटकीय रिहाई ऑपरेशन को लेकर पूरे इसराइल में जश्न का माहौल है.

यूजेनिया कहती हैं, “लोग अपनी कार से सिर निकालते और चिल्लाकर एंद्रे का स्वागत करते. अब हम ख़बरें देख रहे हैं और मैं हैरान हूं कि चार बंधकों की रिहाई इसराइल में सबके लिए जश्न मनाने जैसा बन गया है.”

आठ महीने पहले हमास के हमले में 1200 लोगों के मारे जाने के सदमे से इसराइल अब भी उबरने की कोशिश में है.

जिन 240 बंधकों को अगवा कर ग़ज़ा में ले जाया गया था, उनमें 100 से अधिक की रिहाई बीते नवंबर में सप्ताह भर चले संघर्ष विराम के दौरान हुई थी.

इसराइल का कहना है कि उस दिन अगवा किए गए अब सिर्फ़ 116 बंधक ग़ज़ा में बचे हैं – जिनमें लगभग एक-तिहाई बंधक भी शामिल हैं, जिनके बारे में उनका अनुमान है कि वे ज़िंदा नहीं बचे हैं.

शनिवार को चलाए गए ऑपरेशन से पहले इसराइली सेना के ज़मीनी अभियान में सिर्फ़ तीन बंधकों को रिहा कराया जा सकता था और ताज़ा अभियान ने इसराइल के आत्मविश्वास को बढ़ाया है.

यूजेनिया, जो बंधकों के कई परिजनों को जानती हैं, उनको लगातार याद दिलाया जाता है कि वो कितनी ख़ुशक़िस्मत हैं. तेल अवीव के आसपास और सेंट्रल इसराइल में एंद्रे के घर के पास, ऐसे कई पोस्टर लगे हैं जिनमें उन लोगों के नाम हैं जो अब भी लापता हैं.

वो कहती हैं, “इन पोस्टर को देखना दुखद है. ये सभी जगह लगे हैं और अब मैं उनके चेहरे को देखती हूं और मुझे एक किस्म का अपराधबोध होता है, क्योंकि हम अच्छी तरह समझते हैं, हम रोज़ कई बार ये बात एक दूसरे को बताते हैं कि यह एक चमत्कार है.”

इन सबके बावजूद कि उनके बेटे ने तकलीफ़ें सही हैं. उन्हें अपने गार्ड की बातों पर भरोसा होता है, जिसने बताया था कि उन्हें बाक़ी इसराइली बंधकों की तुलना में अच्छे से रखा गया है- ज़मीन के अंदर सुरंग में और रोशनी से दूर.

माइकल ज़ोर देकर कहते हैं, “हम लगातार उन लोगों के बारे में सोचते हैं जो अब भी वहां हैं. हमें उन्हें निश्चित तौर पर बचाना चाहिए.”

हालांकि उन्होंने बंधकों को छुड़ाने के लिए चलाए जा रहे अभियान से उम्मीद नहीं छोड़ी है लेकिन परवार अब अपनी ऊर्जा एंद्रे की ज़िंदगी पटरी पर लाने में लगा रहा है. मेडिकल जांच के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.

245 दिनों तक बंधक रहने के बाद अभी क्या कुछ चल रहा है, एंद्रे उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कि बंधकों को वापस लाने की मांग को लेकर इसराइली सरकार पर दबाव डालने के लिए निकाले जा रहे मार्च.

उनकी मां कहती हैं, “इतनी सारी चीजों को देख कर वो हैरान हैं और ऐसी ख़बरें जिसे वो नहीं जानता, उससे उसको नींद नहीं आती.”पी टी आई