Happy Dussehra: जानिए, मरते वक्त भगवान लक्ष्मण को रावण ने कौनसी तीन बातों का ज्ञान दिया था

दशहरा का पर्व धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है। दशहरा के लिए ये पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम की पत्नी सीता का रावण ने अपहरण कर लिया था। इसके पश्चात भगवान राम, लक्ष्‍मण और हनुमान की सेना ने मां सीता को बचाने के लिए लंका पर चढ़ाई कर दी थी। काफी दिनों तक भगवान राम का मां सीता को बचाने के लिए युद्ध चला। इसके बाद राम की विजय हुई और उन्होनें रावण का वध कर दिया। रावण बहुत ज्ञानी था और उसने भगवान शिव की कड़ी तपस्या करके उनसे अमर रहने का वरदान लिया था। उसके घमंड ने उसे दैत्य बना दिया था। उसके बढ़ते अत्याचारों के बाद सभी देवताओं ने शिव जी के पास जाकर उपाय मांगा। फिर भगवान राम का जन्म हुआ।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि रावण जैसा विद्वान आज तक दुनिया में पैदा नहीं हुआ। वह महापंडित था। जब रावण मरणासन्‍न अवस्‍था में था तो भगवान राम ने भाई लक्ष्मण को उनके पास शिक्षा लेने को भेजा। लक्ष्‍मण रावण के पास गए, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। लक्ष्‍मण कुछ समय बाद वापस चले आए। भगवान राम ने पूछा तो लक्ष्‍मण से सबकुछ बताया। राम ने फिर कहा। यदि किसी से ज्ञान लेना हो तो उसके चरणों में खड़ा होना चाहिए। राम ने लक्ष्‍मण से कहा कि जाओ और सिर के पास खड़े ना होकर चरणों में खड़े होना। लक्ष्‍मण फिर से रावण के पास पहुंचे। इसके बाद रावण ने लक्ष्‍मण को तीन बातें बताई और ये बातें आज भी सत्‍य हैं। इन बातों का पालन करें तो जीवन में कभी भी निराशा या विफलता हाथ नहीं लगेगी। जानिए ये तीन बातें जो रावण ने अंतिम समय में लक्ष्‍मण से बताई।

– शुभ कार्य को टाल नहीं चाहिए। जितना जल्‍दी हो सके शुभ काम कर देना चाहिए। यदि देरी करेंगे तो परेशानी होगी या फिर पछताना पड़ेगा।
– अपने प्रतिद्वंद्वी या शत्रु को कभी भी छोटा नहीं आंको। ऐसा करेंगे तो आप हमेशा बेहतर करेंगे। कमतर आंकने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा।
– आखिरी बात यह कि अपना राज किसी को भी मत बताओ। रावण का राज विभीषण जानता था। इसी तरह यदि आप अपने राज बताओगे तो नुकसान उठाना ही पड़ेगा।

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