हरियाणा में पहली बार एक खाप पंचायत ने पुरानी घूंघट प्रथा को त्यागने की दी सलाह
हरियाणा में पहली बार एक खाप पंचायत ने महिलाओं से कहा है कि घर हो या बाहर, वे दशकों पुरानी घूंघट प्रथा को त्याग दें। राज्य में सबसे बड़ी खाप पंचायतों में से खासा प्रभाव रखने वाली मलिक गाथवाला खाप ने सोनीपत के कस्बे गोहाना में सोमवार (19 फरवरी) की शाम को अपने एक पूर्वज की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में यह फैसला लिया। बिहार के गवर्नर सत्यपाल मलिक और केंद्रीय मंत्री बीरेंदर सिंह कार्यक्रम में मौजूद थे। हिन्दुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक मलिक गाथवाला खाप के 66 वर्षीय प्रमुख बलजीत मलिक ने कहा- ”अब समय आ गया है कि एक पुरानी परंपरा का अंत कर दिया जाए, जैसा कि आज वह प्रासंगिक नहीं रह गई है। महिलाओं को घूंघट में ही रखने की उम्मीद करना मूर्खता है। यह उनकी दृष्टि को अवरुद्ध करता है और उन्हें सही से सांस नहीं लेने देता है। जिन घरों में बहुओं को बेटियों के समान प्यार मिलता है, वहां खुशियां और शांति आती है।”
खाप ने कहा- ”महिलाएं बड़ों के प्रति सम्मान दिखाने के लिए अपने सिर पर स्कार्फ पहन सकती हैं।” हाल ही में खाप, जिनकी पहचान उत्तर भारत में अर्ध-न्यायिक निकाय के तौर पर मानी जाती है, सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम विवाहों में दखलंदाजी के लिए उनकी खिंचाई की थी। ये जातिगत संस्थाएं संस्कृति और परंपराएं थोपने के नाम पर महिलाओं के लिए मुश्किल भरे फैसले लेने के लिए बदनाम मानी जाती हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कुछ खाप पंचायतों ने अपनी संदिग्ध प्रतिष्ठा में सुधार लाने के लिए महिलाओं से जुड़े सकारात्मक फैसले भी लिए हैं।
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में के करीब 700 गांवों में अधिकार क्षेत्र रखने वाली मलिक गाथवाला खाप ने लोगों से कहा कि वे और ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ की मुहिम चलाएं और उन लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर दें जो भ्रूणहत्या या शिशुहत्या में संलिप्त पाए जाते हैं। खाप के फैसले से महिलाओं में खुशी देखी जा रही है। महिलाएं खाप के फैसले को उनकी आजादी से जोड़कर देख रही हैं। पढ़ने वाली स्कूली लड़कियों ने भी खाप के इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि वे खुश हैं कि यह परंपरा खत्म कर दी गई। महिलाओं के लिए घूंघट न रखने का फैसला खाप पंचायत के पूर्वज दादा घासीराम मलिक की 149वीं जयंती पर लिया गया।