किताब में हिंदू भावनाएं आहत करने के आरोप में हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजा नोटिस

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी  पर अपनी किताब में हिंदू भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट में इसी को लेकर याचिका दी गई। याचिकाकार्ताओं का कहना है कि मुखर्जी की किताब ‘टर्बुलेंट इयर्स 1980-1996’ में कुछ हिस्से ऐसे हैं, जो हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। उन्हें तत्काल किताब से हटाया जाना चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से इसी संबंध में शुक्रवार (छह अप्रैल) को पूर्व राष्ट्रपति और रूपा पब्लिकेशन को नोटिस भेजा है। मुखर्जी को इस पर जवाब देने के लिए 30 जुलाई तक की मोहलत दी गई है।

यह याचिका इससे पहले निचली अदालत में दी गई थी। 30 नवंबर 2016 को इसे यहां खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में दिया था। ट्रायल कोर्ट में यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता यू.सी.पाण्डे और वकीलों के समूह ने मिलकर दी थी।

याचिका के जरिए मुखर्जी की किताब में शामिल अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि और बाबरी विध्वंस से जुड़े कुछ हिस्सों पर आपत्ति जताई गई थी। याचिकाकर्ताओं का दावा था कि किताब के उन हिस्सों से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुईं।

निचली अदालत में याचिका खारिज किए जाने के बाद याचिकाकर्ताओं ने इस बाबत दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता के वकील विष्णु शंकर जैन का कहना है कि पूर्व राष्ट्रपति की किताब की पृष्ठ संख्या 128-129 पर लिखा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक फरवरी 1986 को राम जन्मभूमि में मंदिर खुलवाने का आदेश देकर गलत फैसला लिया था।

वकील के अनुसार, सच यह है कि राम जन्मभूमि का ताला जिला जज फैजाबाद के आदेश से खुला था। आगे पृष्ठ संख्या 151 से 155 का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि किताब में लेखक ने विवादित ढांचे को बाबरी मस्जिद बताया है। यह कहना सरासर गलत है।

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