स्वास्थ्य और व्यायाम
टिश बीमा कंपनी इंगेजम्युअल के शोधकर्ताओं ने अपने ताजा सर्वे के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है कि कल तक बुढ़ापे का असर उम्र ढलने के साथ नजर आता था, लेकिन अब तनाव, निष्क्रियता, अस्वस्थ खानपान और अव्यवस्थित दिनचर्या के चलते युवाओं में भी इसके लक्षण नजर आने लगे हैं। युवाओं को भी वक्त से पहले भूलने, पीठ और कमर में दर्द जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में चिकित्सा विज्ञानियों का मानना है कि जो लोग किशोरावस्था से ही नियमित व्यायाम करते हैं, उनमें बुढ़ापे के लक्षण कम नजर आते हैं। यहां तक कि उन्हें बुढ़ापे में भी कई समस्याओं से पार पाने में आसानी होती है, जैसे जोड़ों और मांसपेशियों का दर्द, भूलने की बीमारी आदि। मगर आज महानगरों की भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत सारे लोग व्यायाम के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। एक सर्वे में यह भी पाया गया है कि जो नियमित व्यायाम करते हैं उनमें से ज्यादातर लोग टहलना या दौड़ना पसंद करते हैं। टहलना और दौड़ना आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद तो करते हैं, पर इन्हें संपूर्ण व्यायाम नहीं माना जा सकता।
योग और कसरत
जब सुबह आप पार्क में या सड़क पर टहलने निकलते हैं तो अपने समय को तीन हिस्सों में बांट लें।
’पहले तेज-तेज चलें। चलने में कदम छोटे और चाल तेज रखें। इस तरह रोजाना आप चार किलोमीटर टहलने के बाद जितनी थकान महसूस करते हैं, छोटे और तेज कदम रख कर दो किलोमीटर में ही महसूस करने लगेंगे।
’अपने समय का दूसरा हिस्सा व्यायाम के लिए रखें। इसके लिए कुछ ऐसे व्यायाम चुनें, जिससे शरीर के हर हिस्से का व्यायाम हो सके। सूर्यनमस्कार एक ऐसा व्यायाम है, जो योग और व्यायाम का मिला-जुला रूप है। इससे हाथ-पैर, पेट, कमर, गर्दन आदि का व्यायाम हो जाता है।
इसके अलावा दोनों बाहों को सामने की तरफ पूरा खोलें और कमर के ऊपर के हिस्से को सीधा रखते हुए पंजों के बल इस तरह बैठें, जैसे कुर्सी पर बैठते हैं। ऐसा पांच बार करें। फिर दोनों बाहों को खोलें और एक पैर पर खड़े होकर दूसरी टांग को फैलाएं और खड़े पैर की दिशा में खुद को जितना झुका सकें झुकाएं। इस प्रक्रिया को दोनों पैरों पर दुहराएं।
इसी तरह दोनों बाहों को आगे की तरफ खोलें और हथेलियों को आपस में चिपका लें। बाएं पैर पर खड़े हों और दाहिने पैर को उठा कर दाहिनी दिशा में ऊपर की तरफ ले जाएं। अब कमर को मोड़ते हुए जुड़ी हुई बाहों को बार्इं तरफ फैलाएं और बाहों और उठाए हुए पैर को फैला कर एक सीध में करें। गर्दन को बाहों की दिशा में रखें। इस तरह जितनी देर खड़े रह सकते हैं, रहें। यह प्रक्रिया दोनों पैरों पर दोहराएं।
इसी तरह के और कुछ व्यायाम चुन सकते हैं, जिससे पेट, कमर, बाहों और टागों का व्यायाम हो सके।
’ तीसरा हिस्सा योग के लिए तय करें। पार्क में घर में शांत जगह पर बैठ कर योगाभ्यास करें। इससे न सिर्फ आपकी सांसों और फेफड़े से संबंधी परेशानियां दूर होंगी, बल्कि शरीर के भीतर आक्सीजन का संचार दुरुस्त होगा और दिमाग में खून का प्रवाह सुचारु हो सकेगा। टहलने के बाद योग के कुछ ऐसे प्रकार चुनें, जो आपकी सांसों और मन की एकाग्रता को नियंत्रित कर सकें। इसमें अनुलोम-विलोम यानी एक नाक से सांस लेना और दूसरी से छोड़ना सबसे आसान और लाभकारी व्यायाम है।
ध्यान दें
योग करते समय सांसों पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी होता है। अनुलोम-विलोम करने का सही तरीका है कि जितना वक्त आपने सांस को भीतर खींचने में लगाया उतनी ही देर उसे अंदर रोक कर रखें और जब उसे छोड़ें तो लगभग दोगुना समय लगाएं। ध्यान रखने की जरूरत है कि सांसों पर सही नियंत्रण नहीं होगा तो योग का उचित फायदा आपके शरीर को नहीं मिलेगा। इसके लिए शुरू में किसी योगाभ्यास कराने वाले व्यक्ति से प्रशिक्षण लें तो बेहतर होगा।
स्थ रहने के लिए टहलना और व्यायाम करना जरूरी है, मगर यह कैसे करें, इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। बहुत-से लोग इसका ध्यान नहीं रखते, जिससे उनके शरीर को उचित लाभ नहीं मिल पाता।
’ अगर आपकी नींद पूरी नहीं हुई है, पर टहलने का समय हो गया है, तो जबर्दस्ती टहलने न जाएं। आपका शरीर आराम चाहता है, वह अभी सोने की प्रक्रिया में है, इसलिए अगर आप ऐसी स्थिति में टहलते या व्यायाम करते हैं तो उसका शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
’ अगर मन किसी वजह से अशांत है, चिड़चिड़ा है या आप किसी बात को लेकर गुस्से में हैं, तो आप व्यायाम करेंगे, तो उसका फायदा मिलने के बजाय नुकसान पहुंचेगा।
’ व्यायाम से पहले पेट का साफ होना जरूरी है। इसलिए गरम या गुनगुना पानी पीकर पहले पेट साफ करें, फिर टहलने या व्यायाम करने जाएं। बहुत से लोग टहल कर आने के बाद शौच के लिए जाते हैं, यह ठीक नहीं है।
’इसलिए टहलने, व्यायाम और योग करने जब भी जाएं पूरी स्फूर्ति और शांत चित्त से जाएं। पहले मन और शरीर को अनुकूल बनाएं, तभी योग और व्यायाम का लाभ मिलेगा। ०