हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार को झटका देते हुए पीएफआई पर लगाए प्रतिबंध को किया रद्द
झारखंड हाईकोर्ट के एक फैसले से मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को जोरदार झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सोमवार (27 अगस्त) को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। इस मुस्लिम संगठन को राज्य सरकार द्वारा अवैध घोषित करने का फैसला किया गया था। कोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने संगठन पर बैन लगाने के लिए जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया था, इसलिए पीएफआई पर लगे बैन को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने अब्दुल वदुद बनाम झारखंड सरकार के मामले में आदेश जारी किया। इस केस में याचिकाकर्ता ने बहुत से मामलों में सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। आपको बता दें कि सरकार के गृह विभाग ने 21 फरवरी 2018 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें पीएफआई को आपराधिक कानून संशोधन (सीएलए) के सेक्शन 16 के तहत अवैध करार दिया गया था, जिसके बाद कोई भी व्यक्ति इस संगठन को डोनेशन नहीं दे सकता था और न ही इसका सदस्य बन सकता था।
इसके अलावा सीएलए एक्ट के सेक्शन 17 के तहत सरकार ने इस संगठन के खिलाफ दंड कार्रवाई भी शुरू की थी। इस संगठन के खिलाफ सीएलए एक्ट के तहत पाकुर और साहेबगंज के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी। सरकार के द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था, “आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 1908 के तहत राज्य ने झारखंड में सक्रिय पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगा दिया है। गृह विभाग ने इस प्रतिबंध की संस्तुति की थी।”
झारखंड पीएफआई के जनरल सेक्रेटरी और इस मामले में याचिकाकर्ता अब्दुल वदुद की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ए अल्लम ने इस केस को लड़ा था। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि सरकार ने पीएफआई के ऊपर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाए थे। इसके अलावा यह भी आरोप लगाया गया था कि इस संगठन का पाकिस्तान के आईएसआई से लिंक है। पुलिस ने कई बार रेड करके पीएफआई और इसके सदस्यों से संबंधित कई दस्तावेज और किताबें भी सीज की थी।