मुरादाबाद के जिला अस्पताल में नींद की गोली खाकर सोते रहे डॉक्टर, मरीज मर गया इलाज के बिना
यूपी के मुरादाबाद जिले से इलाज में लापरवाही से मौत होने का मामला सामने आया है। इस केस में जिला अस्पताल के कर्मचारी की ही इलाज के अभाव में मौत हो गई। लेकिन डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने अस्पताल के स्टाफ का फोन नहीं उठाया। चर्चा है कि डयूटी पर तैनात डॉक्टर नींद की गोली खाकर सोए हुए थे। बताया गया कि यूपी के मुरादाबाद जिले के सरकारी जिला अस्पताल में कल्लू सिंह काम करते थे। वह संविदा पर बतौर सफाई कर्मचारी तैनात थे। वह अपने परिवार समेत अस्पताल से सटे हुए फैमिली क्वार्टर में ही रह रहे थे। कल्लू सिंह की हालत बीते कई दिनों से खराब चल रही थी। शुक्रवार सुबह करीब चार बजे उनकी तबियत बिगड़ने लगी। पिता की हालत बिगड़ते देखकर उनकी बेटियां उन्हें अस्पताल ले आईं। अस्पताल में उस वक्त ड्यूटी पर तैनात स्टाफ ने उन्हें तत्काल इमरजेंसी में भर्ती कर दिया।
उनकी हालत बिगड़ते देखकर अस्पताल स्टाफ ने आॅन कॉल डयूटी पर तैनात सीनियर फिजीशियन डॉ. वीके खरे को कॉल किया। आरोप है कि कई बार कॉल करने के बाद भी डॉक्टर वीके खरे ने फोन नहीं उठाया। इलाज के अभाव में इमरजेंसी में भर्ती कल्लू सिंह ने दम तोड़ दिया। अपने साथी की मौत से नाराज जिला अस्पताल के कर्मचारियों ने सीएमएस का घेराव किया और मामले की जांच की मांग की है। अस्पताल के कर्मचारियों की नाराजगी इस बात से भी है कि अगर डॉ. वीके खरे रात में ड्यूटी करने में सक्षम नहीं थे तो उन्हें प्रशासन को लिखकर दे देना चाहिए था। लेकिन डॉक्टर न होने के कारण अगर किसी मरीज की मौत होती है तो ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
वहीं इस पूरे प्रकरण पर आरोपी डॉक्टर वीके खरे ने अपनी सफाई में कहा है कि,’मैं खुद बीमार रहता हूं। गुरुवार को देर रात डयूटी पूरी करने के बाद मैं अपने क्वार्टर पर सोने के लिए चला गया था। कई बार मुझे रात में सोने के लिए नींद की गोलियां लेनी पड़ती हैं। अस्पताल से मुझे फोन आए थे। लेकिन अगर जरूरत इतनी ही ज्यादा थी तो स्टाफ से कोई भी मेरे घर आ सकता था। लेकिन स्टाफ ने ऐसा नहीं किया।