J&K: कश्मीरी पंडित की अंतिम यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों मुस्लिम, हिंदू रीति-रिवाज से कराया अंतिम संस्कार

जम्मू-कश्मीर में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल देखने को मिली है। यहां कश्मीरी पंडित शिक्षक की मृत्यु की खबर जैसे ही स्थानीय लोगों मिली तुरंत मृतक के घर सैकड़ों लोग जमा हो गए। इनमें अधिकतर मुस्लिम थे। घटना अनंतनाग के वानपोह गांव की है। जहां शुक्रवार त्रिलोकी नाथ शर्मा (75) का निधन हो गया। शर्मा का घर मुस्लिम बहुल क्षेत्र में है। स्थानीय समाचापत्रों के अनुसार उन्हें करीब दो साल से लकवे की बीमारी थी। उनकी मृत्यु के बाद मुस्लिम समुदाय ने हिंदू अनुष्ठानों के अनुसार मृतक शर्मा का अंतिम संस्कार कराने में काफी मदद की। इस दौरान स्थानीय विधायक अब्दुल माजिद लर्मी, सूबे के पूर्व मंत्री अब्दुल गफ्फार सोफी, अनंतनाग के एसीआर सैयद शाबिर, तहसीलदार सैयद आबिद भी मौजूद रहे। बताया जाता है कि मृतक शर्मा इलाके के मशूहर शिक्षक थे। वहीं अंतिम संस्कार में शामिल हुए एक शख्स ने स्थानीय समाचार पत्र को बताया, ‘ये उन लोगों के लिए एक संदेश है जो यहां साप्रदायिक तनाव पैदा करना चाहते हैं। हम सभी एक हैं और हम मिल-जुलकर रहते हैं।’

एक अन्य शख्स ने बताया कि त्रिलोकी नाथ शर्मा उन लोगों में से एक थे जो साल 1990 के उतार-चढ़ाव भरे माहौल में घाटी में वापस लौटे थे। जबकि कश्मीरी पंडितों की एक बड़ी संख्या आतंकियों की धमकियों के बाद घाटी छोड़कर चली गई थी। पंडित त्रिलोकी अपनी पत्नी शारिका देवी, दो बेटे (राकेश और बंतू) और बेटी बिंती के साथ रहते थे। जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने अपने पूर्व के रुख में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर में बातचीत की शुरुआत के लिए आईबी के पूर्व डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा को प्रमुख बनाया है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि अपनी नीति में विश्वास और स्थिरता को आगे बढ़ाते हुए हमने निर्णय किया है कि जम्मू-कश्मीर में निरंतर वार्ता प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। चुने गए प्रतिनिधि राजनीतिक पार्टियों, संगठनों और अन्य व्यक्तियों से बातचीत करेंगे। समाज के सभी धड़ों से लगातार बातचीत की जाएगी। कश्मीर के युवाओं की वैध अकांक्षाओं को समझने की कोशिश की जाएगी। जो भी करेंगे साफ इरादे से करेंगे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *