जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा: अगर जस्टिस रंजन गोगोई चीफ जस्टिस न बन पाएं तो समझ लेना कि..
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा है कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद जस्टिस रंजन गोगोई को देश का मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया जाता है तब समझ लीजिएगा कि इस साल के शुरू में सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर जो शक जताए थे वो सच साबित हो गए। बता दें कि जस्टिस दीपक मिश्रा का कार्यकाल इस साल 2 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। वरिष्ठता के लिहाज से उनके बाद जस्टिस रंजन गोगोई को चीफ जस्टिस बनाया जाना चाहिए क्योंकि दूसरे नंबर पर आने वाले जस्टिस चेलमेश्वर उससे पहले ही 22 जून को रिटायर हो रहे हैं। हार्वर्ड क्लब ऑफ इंडिया में ‘रोल ऑफ ज्यूडिशरी इन ए डेमोक्रेसी’ पर आयोजित समारोह में सीनियर जर्नलिस्ट करण थापर से बातचीत में जस्टिस गोगोई ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह उसी बात को सच साबित करेगा जो हमलोगों ने तीन महीने पहले प्रेस कॉन्फ्रेन्स में कही थी।”
बता दें कि इसी साल 12 जनवरी को जस्टिस चेलमेश्वर समेत चार वरिष्ठ जजों (जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एम बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ) ने साझा तौर पर एक पत्र देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखा था और सुप्रीम कोर्ट के क्रियाकलाप पर सवाल खड़े किए थे। इन चारों वरिष्ठ जजों ने चीफ जस्टिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जजों को केस आवंटन करने में भेदभाव का मुद्दा उठाया था। जस्टिस चेलमेश्वर के घर पर इन चारों जजों ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेन्स किया था। यह देश के न्यायिक इतिहास की बड़ी घटना थी, जब चीफ जस्टिस के खिलाफ कॉलेजियम के चार वरिष्ठ सदस्यों ने मोर्चा खोल दिया हो।
जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद वरिष्ठता क्रम में दूसरे नंबर पर जस्टिस चेलमेश्वर हैं जो इसी साल जून में रिटायर हो रहे हैं। उनके बाद जस्टिस रंजन गोगोई का क्रम आता है। जब करण थापर ने जस्टिस चेलमेश्वर से पूछा कि क्या आपको इस बात की आशंका है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस रंजन गोगोई को पदोन्नति देकर चीफ जस्टिस नहीं बनाया जा सकता है क्योंकि उन्होंने चीफ जस्टिस के खिलाफ आपके साथ मोर्चा खोला था और खत लिखा था? इसके जवाब में जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, “मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं।” इसके बाद करण थापर ने फिर पूछा कि क्या आपको लगता है कि जस्टिस रंजन गोगोई को दरकिनार किया जा सकता है, जैसा कि पहले भी हो चुका है?
चीफ जस्टिस के मास्टर ऑफ द रोस्टर की भूमिका से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, “निश्चित तौर पर चीफ जस्टिस के पास ही यह अधिकार है कि वो बेंच का गठन करें लेकिन सांवैधानिक प्रावधानों के तहत सभी अधिकारों के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी जुड़ी हैं।” जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, “सांवैधानिक अधिकार उसे लागू करने को कहता है इसलिए नहीं कि यह सिर्फ अधिकार है बल्कि इसलिए भी कि इससे जनहित के मुद्दे सुलझें। आप उन अधिकारों का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं कर सकते क्योंकि वो आपके पास हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा कहा है कि इनका इस्तेमाल हमेशा लोक कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।”
जस्टिस चेलमेश्वर ने चीफ जस्टिस के खिलाफ प्रस्तावित महाभियोग पर कहा कि यह समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि महाभियोग की जगह व्यवस्था को ठीक किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि रिटायरमेंट के बाद वो कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे।
अनंतकृष्णन जी