पाकिस्तान का गला ‘सुखाने’ की तैयारी में भारत! सिंधु नदी के प्रोजेक्ट्स में आएगी तेजी
भारत सरकार जम्मू-कश्मीर में सिंधु नदी के प्रोजेक्ट में तेजी लाने जा रही है। भारत जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में एक विशाल जलाशय बनाने जा रहा है। इस जलाशय में सिन्धु नदी के पानी को संग्रह कर रखा जाएगा। सरकार का ये फैसला सिंधु नदी के पानी को अधिकतम इस्तेमाल करने की भारत की नीतियों के मुताबिक है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत इस जल का इस्तेमाल पनबिजली और सिंचाई की परियोजनाओं के लिए करेगा। बता दें कि सिंधु नदी भारत से होकर पाकिस्तान की ओर जाती है। भारत के पास भंडारण क्षमता ना होने की वजह से इस पानी का ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान की ओर बहकर चला जाता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और खेती के लिए सिंधु नदी का पानी अमृत की तरह है। बावजूद इसके भारत के प्रति पाकिस्तान का रवैया किसी से छुपा नहीं है। अब भारत सरकार सिंधु जल समझौते के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करना चाह रहा है। केन्द्रीय जल आयोग ने इस बावत अंतिम प्रोजेक्ट रिपोर्ट जम्मू कश्मीर सरकार के पास भेजा है। वहां से अनुमति मिलने के बाद इस पर काम शुरू किया जाएगा।
इस जलाशय में दशमल 65 मिलियन एकड़ फीट पानी संग्रह करने की क्षमता होगी। यह पानी उझ नदी से आएगी जो कि रावी की सहायक नदी है। बता दें कि भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते के कार्यान्वयन पर तब पुनर्विचार का फैसला किया था जब जम्मू कश्मीर के उरी जिले में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने सेना के कैंप पर हमला किया था। इस हमले में 20 जवान शहीद हो गये थे। तब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेन्द्र मिश्रा को मिलाकर सिंधु जल समझौते की स्क्रूटनी के लिए एक अंतर-मंत्रालय कमेटी बनाई गयी थी।
इधर पाकिस्तान पाक अधिकृत कश्मीर में लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में है। समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर में 700 मेगावाट क्षमता की एक पनबिजली परियोजना तैयार करने का निर्णय लिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह परियोजना 1.51 अरब डॉलर के अनुमानित खर्च से 2022 तक तैयार की जाएगी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि आजाद पत्तन पनबिजली परियोजना सुधानोति जिले में झेलम नदी पर बनेगी। यह इस्लामाबाद से 90 किलोमीटर दूर है। अखबार ने राष्ट्रीय विद्युत ऊर्जा नियामक प्राधिकरण के हवाले से कहा, ‘‘यह परियोजना पाकिस्तान सरकार की मुहिम है और इसे ऊर्जा उत्पादन नीति 2002 के तहत विकसित किया जाएगा।’’