इजरायल से 500 मिलियन डॉलर का रक्षा सौदा रद्द, DRDO से मिसाइल बनवाना चाहती है मोदी सरकार
सुशांत सिंह
केंद्र सरकार ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से आर्मी के लिए स्वदेशी तौर पर मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) का निर्माण करने की मांग की है। इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय (MoD) ने इजरायल के साथ स्पाइक एंटी टैंक मिसाइलों (ATGM) के लिए 500 मिलियन डॉलर का रक्षा सौदा रद्द करने का फैसला किया है। इस डील को भारत और इजरायल के बीच मजबूत होते रिश्तों के तौर पर देखा जा रहा था। रक्षा मंत्रालय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस वक्त विदेश से एंटी टैंक मिसाइलों को आयात करने के कारण डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी प्रणाली से हथियारों के निर्माण करने के कार्यक्रम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिसकी वजह से ही भारत ने इजरायल के साथ की ये डील को रद्द करने का फैसला किया है। इससे पहले भी भारत ने अमेरिका स्थित रेथियॉन-लॉकहेड मार्टिन द्वारा जेवेलिन एंटी टैंक मिसाइल के लिए दिए गए एक ऑफर को स्वीकार करने से मना कर दिया था।
सूत्रों का कहना है, ‘नाग और अनामिका जैसी एंटी टैंक मिसाइलों का निर्माण करने में डीआरडीओ सफल हुआ है। ऐसे में डीआरडीओ को पूरा भरोसा है कि वह आर्मी को तीन से चार सालों के अंदर थर्ड जनरेशन मिसाइल टेक्नोलॉजी के तहत मैन-पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (MPATGM) उपलब्ध करा सकता है।’ स्पाइक एमआर मिसाइल थर्ड जनरेशनल की मिसाइल है, जिसे रात और दिन दोनों ही समय ऑपरेट किया जा सकता है, इस एंटी टैंक मिसाइल (ATGM) की रेंज 2.5 किलोमीटर है। इस वक्त इंडियन आर्मी के पास सेकेंड जनरेशन की एंटी टैंक मिसाइलें- कोन्कर्स और मिलान 2टी हैं, लेकिन इन मिसाइलों के पास रात में लड़ने की क्षमता नहीं है।
आपको बता दें कि साल 2009 में रक्षा मंत्रालय ने 321 ATGM लॉन्चर्स और 8,356 मिसाइलें खरीदने की जरूरत को स्वीकार किया था। अमेरिका से जेवेलिन एटीजीएम को खरीदने पर भी विचार किया गया था, लेकिन उस वक्त अमेरिका की सरकार ने टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर के लिए मना कर दिया था। केवल इजरायल के राफेल द्वारा इस पर प्रतिक्रिया दी गई थी, जिसके बाद 2011-12 में स्पाइक मिसाइलों का परीक्षण भी किया गया था। मंत्रालय ने 2013 में परीक्षण मूल्यांकन को स्वीकार करते हुए इसे खरीदने के लिए मंजूदी दे दी थी। जिसके बाद अमेरिका ने भारत को तकनीक के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ ही जेवेलिन एटीजीएम ऑफर किया था, लेकिन भारत ने इजरायल के सिस्टम के साथ जाने का फैसला लिया।
भारत और इजरायल के बीच स्पाइक एटीजीएम के मू्ल्य पर चर्चा मार्च 2015 में शुरू हुई। जून 2016 में जब मूल्य निर्धारित कर लिया गया तब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने मूल्यांकन रिपोर्ट की समीक्षा और स्वदेशी मिसाइल प्रणाली की संभावना पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई। इस समिति में डीआरडीओ के प्रतिनिधियों और आर्मी प्रतिनिधियों के बीच विचारों में भिन्नता देखी गई, जिसके बाद इस महीने की शुरुआत में इजरायल राफेल के साथ एटीजीएम लॉन्चर्स और मिसाइलों के लिए की जाने वाली डील को रद्द कर दिया गया।