नोटबंदी के बाद नए छपे नोट ढोने के लिए भारतीय वायुसेना को मिले 30 करोड़ रुपये! आरटीआई से खुलासा
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने नोटबंदी के बाद नई मुद्रा को लाने-ले जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से तकरीबन 30 करोड़ रुपए वसूल लिए। आईएएफ के मालवाहक विमानों के जरिए तब 2000 और 500 रुपए के नए छपे नोट लाने-ले जाने का काम हुआ था। यह खुलासा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के माध्यम से हुआ है।
याद दिला दें कि आठ नवंबर 2016 को पीएम के ऐलान के बाद मध्य रात्रि से 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार उन दोनों की जगह पर 500 और 2000 के नए नोट लाई थी। नए नोटों की छपाई के बाद उन्हें आईएएफ के हवाई जहाजों से बैंक नोट प्रेस और टकसाल से बाकी जगहों पर पहुंचाया गया था।
कॉमोडोर लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) ने इसी को लेकर आरटीआई डाली थी, जिसमें उन्होंने जानना चाहा कि आखिरकार नोटों को एक जगह से बाकी जगहों पर लाने ले जाने में कितना खर्चा आया। आईएएफ ने इसके जवाब में बताया कि सी-17 और सी 130जे सुपर हर्कुलीस के जरिए 91 मिलिट्री यूनिटों को नोट प्रिटिंग प्रेस और टकसालों से अन्य जगहों पर नई मुद्रा पहुंचाने के काम में लगाया गया था। आईएएफ ने इसके लिए तब सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड को इन सेवाओं के लिए बिल भेजा था।
बत्रा ने पीटीआई को बताया, “मुझे लगता है कि सरकार को इस काम के लिए सुरक्षा संबंधी साझो-सामान का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। सरकार को इसके बजाय नागरिक परिवहन वाले विमानों का बंदोबस्त करना चाहिए था।” वहीं, नोटबंदी के बाद नवंबर 2016 से अगले साल मार्च तक भारतीय रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 हजार रुपए के नए नोटों की छपाई पर लगभग 7965 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह रकम एक साल पहले नए नोटों पर खर्च किए गए पैसों से दोगुणी थी।