मालदीव में सरकारी आयोजन में हुआ भारतीय राजदूत का अपमान, भारत ने दर्ज कराई कड़ी आपत्ति


मालदीव में एक सरकारी आयोजन के दौरान भारतीय राजदूत का अपमान किए जाने पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। भारतीय राजदूत के साथ बांग्लादेश के राजदूत भी इस आयोजन में शामिल नहीं हुए। मौका था चीन की मदद से मालदीव में बने एक पुल के उद्घाटन का, जहां समारोह स्थल के काफी दूर पहले ही भारतीय राजदूत को रोक दिया गया। यह देख भारतीय राजदूत वापस हो लिए। भारतीय, बांग्लादेशी और श्रीलंकाई राजदूतों को मालदीव के राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते ने रोका।

विदेश मंत्रालय ने मालदीव के विदेश विभाग से कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे राजनयिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया है। दरअसल, चीन की सहायता से बनाए गए शिनमाले पुल के उद्घाटन के लिए पहुंचे राजदूतों को समारोह स्थल के काफी दूर पहले वाहन से उतरने को कहा गया। सिर्फ चीनी राजदूत को ही समारोह स्थल तक गाड़ी में ले जाया गया। यह स्थिति देखकर भारतीय राजदूत अखिलेश मिश्रा समारोह में शामिल नहीं हुए। श्रीलंका और बांग्लादेश के प्रतिनिधि भी बाहर से ही लौट गए। शिनमाले ब्रिज के लिए चीन ने मालदीव को 72 मिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी सहायता दी थी। माले और हुलहुले द्वीप को जोड़ने वाले दो किलोमीटर लंबे पुल को चाइनीज-मालदीव फ्रेंडशिप ब्रिज भी कहा जा रहा है। इस पुल को 33 महीने में चीन की सेकंड हार्बर इंजीनियरिंग लिमिटेड ने बनाया है।

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