नौकरी के लायक नहीं हैं भारतीय इंजीनियर, AICTI ने उठाए कदम

भारत में हर वर्ष 15 लाख छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर कॉलेज से निकलते हैं लेकिन इनमें से बहुत ही कम संख्या में नौकरी के लायक होते हैं। मैकेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से सिर्फ 20 फीसद ही नौकरी पाने के योग्य होते हैं जबकि एस्पाइरिंग माइंड्स के अनुसार 95 फीसद भारतीय इंजीनियर कोडिंग नहीं कर पाते हैं। देश में इंजीनियरिंग कॉलेजों और संस्थानों को मान्यता देने वाली संस्थान अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने इस स्थिति में बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं।

तीन इंटर्नशिप अनिवार्य
इंजीनियरिंग करने वाले सभी विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के दौरान 4 से 8 सप्ताह की तीन इंटर्नशिप करना अनिवार्य किया गया है। एआइसीटीई के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे का कहना है कि अभी तक छात्रों को इंटर्नशिप करना अनिवार्य नहीं था लेकिन अब इसे पाठ्यक्रम का जरूरी हिस्सा बनाया गया है। जो विद्यार्थी पाठ्यक्रम के दौरान तीन इंटर्नशिप नहीं करेगा उसे डिग्री नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले साल को छोड़कर सभी विद्यार्थियों को दूसरे वर्ष से अंतिम वर्ष के दौरान ये इंटर्नशिप करनी होंगी। भविष्य में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को भी इंटर्नशिप करने के लिए कहा जाएगा। प्रो. सहस्रबुद्धे के मुताबिक इससे दो फायदे होंगे। पहला, छात्रों को उद्योगों में काम करने की वास्तविक स्थितियों के बारे में जानकारी मिलेगी। अगर उनमें कुछ कमी होगी तो उसे समय रहते दूर किया जा सकेगा। दूसरा, इंटर्नशिप के दौरान छात्र कंपनी को और कंपनी छात्र को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे। इससे विद्यार्थी को डिग्री पूरी करने के बाद उस कंपनी में नौकरी मिलने की संभावना बहुत बढ़ जाएंगी।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा
एआइसीटीई ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी कुछ निर्णय लिए हैं। इनमें पिछले पांच वर्षों में 30 फीसद से कम दाखिले देने वाले कॉलेजों और संस्थानों को बंद करने का फैसला सबसे बड़ा है। उनके मुताबिक जो संस्थान पिछले पांच साल में 30 फीसद सीटों पर भी दाखिले नहीं कर पा रहा है, उसकी गुणवत्ता बेहतर रह ही नहीं सकती। इसीलिए हमने ऐसे संस्थानों को तुरंत बंद करने का निर्णय लिया है।  एआइसीटीई ने इन संस्थानों के बंद होने से इन में प्रवेश लेने वाले छात्र उन संस्थानों का रुख करेंगे जहां अधिक बच्चों को प्रवेश हो रहा है। इससे इन संस्थानों को अधिक विद्यार्थियों के साथ फंड भी ज्यादा मिलने लगेगा जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके अलावा हम हर वर्ष पाठ्यक्रम में जरूरी चीजों को जोड़ने और गैरजरूरी चीजों को हटाएंगे ताकि बच्चों को बेहतर गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त हो सके। एआइसीटीई ने विभिन्न आइआइटी के प्रोफेसरों और उद्योगों के विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई है जो इंजीनियरिंग की हर ब्रांच का मॉडल पाठ्यक्रम तैयार कर रही है जिसे देश भर में लागू किया जाएगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *