इंदिरा गांधी ने धर्म के नाम पर लोगों को बांटने वालों का विरोध किया था: सोनिया गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रविवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी धर्म व जाति के नाम पर भारतीय लोगों को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ धर्मनिरपेक्षता के लिए लड़ीं थीं। पूर्व प्रधानमंत्री की 100वीं जयंती पर सोनिया गांधी ने इंदिरा गांधी के जीवन व उपलब्धियों पर ‘अ लाइफ ऑफ करेज’ फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस मौके पर सोनिया गांधी ने कहा, “मैंने इंदिरा जी को ‘लौह महिला’ कहे जाते सुना है, लेकिन उनके चरित्र में लोहा महज एक तत्व था, उसमें उदारता और मानवता जैसे प्रमुख लक्षण भी थे।” देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर, 1917 को हुआ था।
सोनिया गांधी ने रविवार को इंदिरा गांधी से अपने संबंधों को याद किया, जो उनकी सास भी थीं। सोनिया ने कहा, “हम 16 साल से ज्यादा समय तक एक घर में रहे। हमारे छोटे से परिवार की मुखिया थीं वह और इसी दौरान मैंने उन्हें करीब से जाना। मैंने उन्हें हर मूड व परिस्थिति में करीब से देखा है।” उन्होंने कहा, “मुझे समझ में आया थी कि कितनी शिद्दत से वह अपने देश के लिए सोचती थीं, गरीब व पीड़ित की मदद कितनी गहराई से करती थीं, वह कैसे अपने पिता व भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अन्य महान पुरुषों व महिलाओं से प्राप्त सीख का निष्ठा से पालन करती थीं।”
कांग्रेस प्रमुख ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री के तौर पर कार्यकाल, बांग्लादेश का निर्माण व हरित क्रांति का जिक्र किया। सोनिया गांधी ने कहा, “देश का नेतृत्व करने के लिए दिए गए 16 सालों में बहुत सी चुनौतियों का सामना उन्हें करना पड़ा था। इसमें युद्ध व आतंकवाद थे तो असमानता व देश की गरीबी से लड़ाई थी। उन्होंने सभी का सामना साहस के साथ किया और भारत को मजबूत, एकजुट व समृद्ध बनाने के लिए पूरी तरह से समर्पित रहीं।” सोनिया ने कहा, “यह उनका हरित क्रांति का नेतृत्व था, जिसने भारत को भुखमरी से मुक्त कर दिया, बांग्लादेश के निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।” इस कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व दूसरे नेता भी मौजूद थे।