भगवान गणेश की पुत्री हैं माता संतोषी! जानें क्या है कथा

माता संतोषी प्रेम, संतोष, क्षमा, खुशी और आशा की प्रतिक मानी जाती है। ये माना जाता है कि लगातार 16 शुक्रवारों तक माता संतोषी का पूजन करने से भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि आती है। माता संतोषी को दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। इसी के साथ माता संतोषी के जन्म को लेकर ये दुविधा रहती है कि वो भगवान गणेश की पुत्री हैं। भगवान गणेश को बल, बुद्धि और विद्या का देवता माना जाता है। इसी के साथ रिद्धि की कृपा बनी रहे तो हम कुशल बन सकते हैं और सिद्धि की कृपा बनी रहे तो हम स्वस्थ्य और सुरक्षित रहते हैं। इन तीनों की कृपा जिसे मिल जाए तो उसका जीवन सफल हो जाता है। माता संतोषी का इन सभी के साथ जन्म हुआ था जिसके कारण उनके व्रत से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं।

पौराणिक ग्रंथों में इस कथा के लिए कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि भगवान गणेश के दो पुत्रों के साथ एक पुत्री भी थीं जिनका नाम माता संतोषी था। भगवान गणेश की दो पत्नियां रिद्धि और सिद्धि थीं जिनसे उन्हें दो पुत्र शुभ और लाभ हुए। माना जाता है कि भगवान गणेश अपनी बुआ से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे और इसके बाद तोहफों का लेन-देन देखने के बाद गणेश जी के पुत्रों ने इस रस्म का रहस्य पूछा। इस पर भगवान गणेश ने बताया कि ये धागा नहीं है बल्कि एक सुरक्षा कवच है, आशीर्वाद और बहन भाई के प्रेम का प्रतीक है।

इस पर भगवान गणेश के पुत्र शुभ और लाभ ने इच्छा व्यक्त करी कि उन्हें भी एक बहन चाहिए। जिससे वो रक्षासूत्र बंधवा सकें। इसके बाद भगवान गणेश ने अपनी विशेष शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और उनकी दोनों पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मलित कर लिया। इस ज्योति ने कन्या का रुप धारण कर लिया और गणेश जी की पुत्री का जन्म हुआ। जिसे संतोषी का नाम दिया गया और शुभ-लाभ की बहन बनाया गया।

 

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