ITR फ़ाइल करने के लिए न करें आम बजट का इंतज़ार – देखें, पिछले साल की कमाई पर कितना देना होगा टैक्स,
याद रखें, 23 जुलाई को पेश होने जा रहे आम बजट 2024 में कोई राहत मिल भी गई, तो वित्तवर्ष 2023-24, यानी आकलन वर्ष 2024-25 (Assessment Year 2024-25) के लिए ITR पिछले साल वाले नियमों, स्लैबों और दरों के आधार पर ही फ़ाइल करनी होगी.
इनकम टैक्स रिटर्न, यानी ITR दाखिल करने की तारीख काफ़ी नज़दीक आ चुकी है, और वित्तवर्ष 2023-24 (Financial Year 2023-24) की ITR को विलंब शुल्क तथा जुर्माने से बचने के लिए 31 जुलाई से पहले फ़ाइल करना होगा. अब आम करदाता, यानी टैक्सपेयर को जो सबसे बड़ा असमंजस या कन्फ़्यूज़न होता है, वह यही होता है कि 23 जुलाई को आने वाले पूर्ण बजट में कोई राहत मिलेगी या नहीं. तो इसका जवाब है कि आम चुनाव से पहले फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट या 23 जुलाई को पेश होने जा रहे आम बजट 2024 में कोई राहत मिल भी गई, तो वित्तवर्ष 2023-24, यानी आकलन वर्ष 2024-25 (Assessment Year 2024-25) के लिए ITR पिछले साल वाले नियमों, स्लैबों और दरों के आधार पर ही फ़ाइल करनी होगी.
पिछले साल इनकम टैक्स रिजीम में किए गए थे बदलाव
अब आपको याद दिलाते हैं कि पिछले साल, यानी वर्ष 2023 में पेश किए आम बजट में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में क्या बदलाव किए थे. वित्तमंत्री ने वर्ष 2020 में पहली बार घोषित की गई नई टैक्स व्यवस्था, यानी New Tax Regime को डीफ़ॉल्ट घोषित कर दिया था, परन्तु पुरानी टैक्स व्यवस्था, यानी Old Tax Regime को खत्म नहीं किया था. तो इसका अर्थ यह हुआ कि टैक्सपेयर, यानी करदाता अब भी इच्छानुसार पुरानी टैक्स व्यवस्था को चुन सकते हैं. इसका मतलब हुआ कि जीवन बीमा, यानी लाइफ़ इंश्योरेंस, PPF, सुकन्या समृद्धि खाता (SSA), बच्चों की स्कूल फ़ीस आदि के अलावा अपना घर बनाने के लिए बैंक से लिए गए होम लोन पर चुकाया ब्याज, NPS, यानी नेशनल पेंशन सिस्टम में जमा करवाई गई राशि या मकान किराया भत्ता, यानी HRA Exemption जैसी छूट हासिल करने के इच्छुक Old Tax Regime में पुरानी, अपरिवर्तित दरों से ही टैक्स का कैलकुलेशन कर आयकर जमा करवा सकेंगे.
किसे होगा किस टैक्स रिजीम में कितना फ़ायदा…?
तो आइए, आज हम आपको बताते हैं कि पिछले साल इनकम टैक्स की New Tax Regime में किए गए बदलावों से किसे कितना फ़ायदा होगा, या किसे किस रिजीम में ज़्यादा टैक्स अदा करना होगा. नीचे दिए गए दो चार्टों में हमने पुरानी टैक्स व्यवस्था और नई टैक्स व्यवस्था में देय टैक्स की गणना की है, और टेबल से आप यह भी देख सकते हैं कि किस रिजीम में आपको कितना इनकम टैक्स चुकाना होगा.
इन दो चार्टों में हमने चार ऐसे नौकरीपेशा लोगों के उदाहरण शामिल किए हैं, जिनकी वार्षिक आमदनी क्रमशः ₹7,00,000, ₹10,00,000, ₹12,00,000 और ₹15,00,000 है. ये चारों इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के अंतर्गत दी जाने वाली छूट, मकान किराया भत्ते (HRA Exemption) पर मिलने वाली छूट और NPS के तहत हासिल छूट भी हासिल करते हैं, तो आइए देखते हैं, किस रिजीम में किसे कितना टैक्स चुकाना होगा.
पुरानी टैक्स व्यवस्था, यानी Old Tax Regime में टैक्स देनदारी
पुरानी टैक्स व्यवस्था, यानी Old Tax Regime वाली पहली टेबल में आप देख सकते हैं कि चारों करदाताओं को मानक कटौती, यानी Standard Deduction का फ़ायदा दिया गया है, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत भी चारों ने ही अधिकतम ₹1,50,000 की बचत की है, चारों करदाताओं ने ही NPS में भी ₹50,000 जमा करवाए हैं, और HRA Exemption अथवा होम लोन पर चुकाए ब्याज पर छूट का दावा किया है.
इसी टेबल में ₹7,00,000 वार्षिक आय वाले पहले करदाता की टैक्सेबल इनकम, यानी करयोग्य आय सभी छूट मिलने के बाद ₹3,70,000 रह गई है, जिस पर उसकी कर देयता ₹6,240 होने के बावजूद इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के अंतर्गत मिलने वाली छूट के चलते शून्य हो गई. ₹10,00,000 कमाने वाले दूसरे करदाता की करयोग्य आय ₹4,00,000 की छूट और कटौतियों के बाद ₹6,00,000 रह गई है, जिस पर उसे ₹33,800 इनकम टैक्स चुकाना होगा. बिल्कुल इसी तरह, कटौतियों और छूट का हिसाब लगाने के बाद Old Tax Regime के तहत ₹12,00,000 और ₹15,00,000 प्रति वर्ष कमाने वाले करदाताओं को भी क्रमशः ₹75,400 और ₹1,06,600 इनकम टैक्स के तौर पर अदा करने होंगे.
नई टैक्स व्यवस्था, यानी New Tax Regime में टैक्स देनदारी
दूसरी टेबल, यानी नई टैक्स व्यवस्था या New Tax Regime में भी इन्हीं चार करदाताओं के आयकर का हिसाब लगाया गया है. पिछले साल (1 फरवरी, 2023 को) घोषित बदलावों के तहत इस बार चारों को मानक कटौती (Standard Deduction) का फ़ायदा मिल सकेगा, और इसके अलावा स्लैबों तथा दरों में बदलाव और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए की छूट सीमा बढ़ जाने की बदौलत ₹7,00,000 वार्षिक आमदनी वाले करदाता को इस बार भी कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. ₹10,00,000 सालाना कमाई वाले करदाता को ₹54,600 इनकम टैक्स देना होगा, ₹12,00,000 सालाना आय वाले शख्स को ₹85,800 आयकर चुकाना होगा, और ₹15,00,000 वार्षिक कमाई वाले टैक्सपेयर को ₹1,45,600 इनकम टैक्स चुकाने होंगे
सो, इन दो चार्टों की मदद से आप साफ़-साफ़ देख सकते हैं कि यदि कोई करदाता छूट और कटौतियों के तौर पर लगभग ₹2,75,000 से ज़्यादा की रकम को करमुक्त कर लेता है, तो उसे Old Tax Regime में ही बने रहने में फ़ायदा होगा, वरना बचत नहीं करने वाले किसी भी करदाता को New Tax Regime में लाभ होगा.