भोपाल में सिमी के 8 सदस्यों की एनकाउंटर को मामले की जांच कर रही कमेटी ने ठहराया सही
अक्टूबर, 2016 में भोपाल की सेंट्रल जेल तोड़कर भागे और बाद में एनकाउंटर में मारे गए सिमी के 8 सदस्यों की मौत के मामले की जांच पूरी हो चुकी है। जांचकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में एनकाउंटर को सही ठहराया है और कहा है कि ‘फरार लोगों के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल जरुरी था और उन परिस्थितियों में यही होना था।’ हाईकोर्ट के रिटार्यड जज जस्टिस एसके पांडे की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय जांच समिति ने सोमवार को 17 पेज की जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश विधानसभा में पेश की।
क्या था मामलाः विभिन्न गंभीर अपराधों में जेल में बंद सिमी के 8 सदस्य ने अक्टूबर, 2016 को भोपाल की सेंट्रल जेल से भागने की कोशिश की। अपनी इस कोशिश में सिमी के सदस्यों ने जेल के एक गार्ड को बंधक बनाया और एक अन्य गार्ड का गला काटकर फरार हो गए। फरारी के दौरान सिमी के इन सदस्यों ने एक नकली चाबी से जेल का दरवाजा खोला और फिर जेल की बाहरी दीवार पर लकड़ी के टुकड़ों और बेडशीट की मदद से सीढ़ी बनाकर जेल से बाहर निकल गए थे। इसके कुछ देर बाद ही पुलिस सिमी के इन 8 सदस्यों को मानीखेडी कोट पत्थर नामक जगह पर हुए एक एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। इस एनकाउंटर की कुछ वीडियो भी सामने आयी थी, जो कि सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। एमपी पुलिस द्वारा किया गया यह एनकाउंटर बाद में राजनैतिक मुद्दा बन गया था और इस पर कई सवाल उठे थे। हालांकि सरकार के प्रतिनिधि और पुलिस के आला अधिकारी इस एनकाउंटर को सही बताते रहे, लेकिन इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हुई। बाद में विवाद बढ़ता देख सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के लिए एक सदस्यीय कमेटी का गठन किया।
क्या है जांच रिपोर्ट में- बता दें कि पहले इस जांच कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 3 महीने का वक्त दिया गया था, लेकिन बाद में इसका समय बढ़ाकर सितंबर, 2017 कर दिया गया था। अब यह रिपोर्ट सामने लायी गई है। इस रिपोर्ट के अऩुसार, ‘एनकाउंटर में मारे गए लोगों को पहले पुलिस ने आत्मसमर्पण करने को कहा था, लेकिन सिमी के सदस्यों ने आत्मसमर्पण करने की बजाए पुलिस पर गोलियां चलानी शुरु कर दी। जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोलियां चलायी और सिमी के 8 सदस्यों को मौके पर ही एनकाउंटर में ढेर कर दिया।’
वहीं दूसरी तरफ एनकाउंटर में मारे गए लोगों के वकील परवेज आलम का इस जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं। परवेज आलम का कहना है कि जिन दस्तावेजों की उन्होंने मांग की थी, वो अभी तक उन्हें नहीं दिए गए हैं और ना ही सबूत उनके साथ साझा किए गए हैं। यही वजह है कि वकील परवेज आलम ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है और इसके लिए वह जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं।