जम्मू-कश्मीर के डीजीपी बोले- बड़े राजनीतिक दल भारत की बात नहीं करते, बेरोजगारी है आतंक की जड़

जम्मू-कश्मीर में इस साल चलाए गए पुलिस के सुरक्षा अभियान में अब तक 160 आतंकी मौत के घाट उतारे गए हैं। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) शेष पॉल वैद्य ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में यह जानकारी दी है। मगर उन्होंने साफ किया है कि राज्य को राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। बतौर डीजीपी राज्य के बेरोजगार युवकों पर समाज के आपराधिक एवं खतरनाक लोगों की नजर है, इसलिए केन्द्र सरकार को सकारात्मक कदम उठाते हुए कश्मीरी युवकों को रोजगार देने की दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, “इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राज्य को दृढ़ राजनैतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। अगर यह उठाया जा रहा है तो फिलहाल मुझे इसकी जानकारी नहीं है लेकिन मैं समझता हूं कि इस दिशा में कुछ हो रहा है। आज के समय में राजनीतिक इच्छाशक्ति अहम जरूरत है।”

राज्य के सबसे बड़े पुलिस पदाधिकारी के मुताबिक कश्मीर में राजनीतिक संवाद में एक रिक्तता की स्थिति है। उन्होंने कहा, “मुख्य धारा की पार्टियां भारत के बारे में बात नहीं करतीं। वो लोगों को बताती हैं कि उसके एक अंग होने में उन्हें किस तरह से लाभ पहुंच सकता है। देखिए, एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पत्थरबाज स्वतंत्रता सेनानी हैं। वो एक मुख्यमंत्री रहे हैं।”

डीजीपी ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला पर छपी एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्य धारा की पार्टियों को भारत के पक्ष में खड़े होकर बात करनी चाहिए। लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें इसमें हिचकिचाहट महसूस होती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल मुठभेड़ में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से घाटी में अशांति का माहौल है। उन्होंने कहा कि उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि राज्य के युवा बेरोजगारी के हालात में फिरक से आतंकियों की साजिश का हिस्सा न बज जाएं।

डीजीपी ने सोशल मीडिया को भी पुलिस के लिए एक  बड़ी चुनौती माना है। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में साइबर जिहाद एक सत्य है और हम तरीके से साइबरस्पेस के हमले की जद में हैं। इसे अवरुद्ध नहीं किया जा सकता है। इसलिए हमें उसे काउंटर करने के लिए एक खास बल बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें पता है कि जमात-उद-दावा ने साइबर सेल में एक हजार से ज्यादा लोगों को भर्ती किया है और उन्हें कहा है कि  साइबर जिहाद के लिए उन्हें कश्मीर जाकर लड़ने की जरूरत नहीं है। उन्हें अपने घर से ही भारत के लिए युद्ध लड़ना है। वे लोग उन्हें साइबर मुजाहिद कहते हैं।

 

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