गुजरात में वोटिंग से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने घोषित की 8500 करोड़ की इन्सेन्टिव

सरकार ने देश से निर्यात कारोबार बढ़ाने के वास्ते चमड़ा और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों को 8,450 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की घोषणा की है। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से बाधित निर्यात कारोबार को गति देने के लिये यह कदम उठाया गया है। हालांकि गुजरात चुनाव से ठीक पहले इसका ऐलान मतदान से जोड़कर देखा जा रहा है। गुजरात चुनाव में जीएसटी का मुद्दा अहम है और इसे लेकर व्‍यापारियों के वोट छिटकने का डर भाजपा को सता रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज 2015 से 2020 की पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की मध्यकालिक समीक्षा जारी करते हुये निर्यातकों को इस प्रोत्साहन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि श्रमिक बहुल और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में वस्तु के साथ साथ सेवा निर्यात के लिये प्रोत्साहन राशि दो प्रतिशत बढ़ाई गई है। संशोधित एफटीपी में श्रमिक बहुल उद्योगों, एमएसएमई से मौजूदा भारत से वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत होने वाले पूरे निर्यात पर प्रोत्साहन दर में दो प्रतिशत वृद्धि की गई है। इससे कुल मिलाकर 4,567 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि इन क्षेत्रों को उपलब्ध होगी। इसका लाभ चमड़ा, कृषि, कालीन, हस्तशिल्प और समुद्री उत्पाद क्षेत्र को लाभ मिलेगा। इसके साथ ही सेवा क्षेत्र के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) में भी प्रोत्साहन दर को दो प्रतिशत बढ़ाया गया है। इसमें भी 1,140 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी होगी।

वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले महीने इसी तरह की दो प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि गार्मेंट और मेड-अप्स के लिये घोषित की थी। इसमें भी 2,743 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी होगी। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि कुल मिलाकर एमईआईएस और एसईआईएस इन दोनों योजना के तहत प्रोत्साहन राशि में 33.8 प्रतिशत यानी 8,450 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। इस समय प्रोत्साहन राशि 25,000 करोड़ रुपये है। समझा जाता है कि इस प्रोत्साहन से निर्यातकों को जीएसटी लागू होने के बाद रिफंड मिलने में हो रही देरी से कुछ राहत मिलेगी। एक साल से अधिक समय के बाद अक्तूबर माह में एक बार फिर निर्यात कारोबार में गिरावट आई है। इसकी शुरुआती वजह जीएसटी लागू होनें के बाद निर्यातकों को रिफंड नहीं मिलने से उनके समक्ष नकदी की तंगी खड़ी होना बताया गया।

विदेश व्यापार नीति की मध्यकालिक समीक्षा मूल रूप से एक जुलाई को होनी थी। लेकिन जुलाई में जीएसटी लागू होने और उसके विदेश व्यापार पर प्रभाव आकलन की समीक्षा को देखते हुये इसमें देरी हुई। देश की 2,500 अरब डालर की जीडीपी में निर्यात क्षेत्र का 45 प्रतिशत तक योगदान है। प्रभु ने कहा कि मध्यावधि समीक्षा का मकसद प्रक्रियाओं के सरलीकरण के जरिये निर्यात प्रोत्साहन, उच्च रोजगार वाले क्षेत्रों को समर्थन बढ़ाना, जीएसटी के लाभों का उपयोग, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा तथा अत्याधुनिक विश्लेषण के जरिये निर्यात प्रदर्शन की निगरानी करना है। उन्होंने कहा कि एफटीपी में मुख्य जोर नए बाजारों और उत्पादों की संभावनाएं तलाशना और परंपरागत बाजारों तथा उत्पादों के निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़ाना है। मंत्री ने कहा कि

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