एक और नीरव मोदी: 14 बैंकों को 824 करोड़ का चूना लगाने के बाद कारोबार समेट भाग गया विदेश
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार हीरा कारोबारी नीरव मोदी की तर्ज पर तमिलनाडु में भी एक गोल्ड जूलर ने एक-दो नहीं बल्कि 14 बैंकों को सैकड़ों करोड़ का चूना लगाया है। एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों के कंसोर्टियम ने कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड को 824 करोड़ रुपये का लोन दिया था। भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन इस कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर हैं। कनिष्क गोल्ड का मुख्य कार्यालय चेन्नई के टी. नगर में स्थित है। बैंक अधिकारियों का कहना है कि व्यवसायी दंपती से कई बार संपर्क साधने की कोशिश की गई थी, लेकिन दोनों का कुछ अता-पता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भूपेश और नीता मॉरिशस में हैं। सारे प्रयास विफल होने के बाद एसबीआई ने 25 जनवरी को सीबीआई में इसकी शिकायत दी थी। बैंक ने भूपेश पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कर्ज लेने और रातोंरात अपने सभी शोरूम और फैक्टरी बंद कर चंपत होने का आरोप लगाया है। सीबीआई ने फिलहाल इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है। बता दें कि जांच एजेंसी प्राथमिक छानबीन के बाद ही केस दर्ज करती है।
एक हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान: अधिकारियों का कहना है कि कनिष्क गोल्ड को 824 करोड़ रुपये का लोन दिया गया था। ब्याज और अन्य शुल्क लगाकर 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होने का अंदेशा है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के अनुसार, एसबीआई ने 11 नवंबर, 2017 में कंपनी के खाते को फर्जी करार दिया था। आरबीआई को भी इसकी जानकारी दे दी गई थी। बाद में अन्य बैंकों ने भी ऐसी ही घोषणा की थी। एसबीआई ने इस कंपनी को वर्ष 2007 से ही कर्ज देना शुरू किया था। बाद में एक कंसोर्टियम बना दिया गया था, ताकि अन्य बैंक भी कनिष्क गोल्ड को लोन दे सके।
मार्च 2017 में पहली बार नहीं किया था ब्याज का भुगतान: एसबीआई ने बताया कि भूपेश जैन की कंपनी पहली बार मार्च 2017 में डिफॉल्ट हुई थी। कंपनी ने आठ बैंकों को ब्याज का भुगतान नहीं किया था। कनिष्क गोल्ड ने अप्रैल 2017 से कंसोर्टियम में शामिल सभी बैंकों का भुगतान करना बंद कर दिया था। बैंक अधिकारियों ने 5 अप्रैल, 2017 में स्टॉक ऑडिट के लिए प्रमोटरों से संपर्क साधने की असफल कोशिश की थी। बैंक अधिकारी 25 मई को कनिष्क के कॉरपोरेट ऑफिस, फैक्टरी और शोरूम में गए थे, लेकिन सभी का शटर डाउन मिला था।
भूपेश जैन ने फर्जीवाड़ा स्वीकार किया: दिलचस्प है कि कनिष्क गोल्ड के प्रमोटर भूपेश जैन ने बैंकों को पत्र लिखकर रिकॉर्ड की जालासाजी करने और स्टॉक हटाने की बात स्वीकार की थी। भूपेश ने स्टॉक को कोलेटरल (लोन के बदले संपत्ति) के तौर पर रखा था। मद्रास जूलर्स एंड डायमंड मर्चेंट्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि नुकसान से उबर न पाने के कारण कनिष्क गोल्ड ने मई, 2017 में अपना शटर गिरा लिया था।