कर्नाटक: अपने वादों पर खरे नहीं उतरने वाले नेताओं पर नकेल कसने उतरीं पूर्व महिला पुलिस अधिकारी
कर्नाटक में एक पूर्व महिला पुलिस अधिकारी अनुपमा शेनॉय विधायक बनने और अपने वादों पर खरा नहीं उतरने वाले नेताओं पर नकेल कसने के लिए राजनीति में उतरी है। शेनॉय ने एक साक्षात्कार के दौरान आईएएनएस को बताया, “मैं राजनीति में आई हूं। मैंने 12 मई का कर्नाटक विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए एक पार्टी का गठन किया है और नेताओं पर नकेल कसने के राजनीति में आई हूं, ताकि वे अपने वादे पूरे कर सकें और किसी भी तरह का गलत काम करने से डरें।” शेनॉय (37) कर्नाटक पुलिस कॉडर की 2010 बैच की अधिकारी हैं। उन्होंने राज्य के कैबिनेट मंत्री और स्थानी शराब व्यापारी से विवाद के बाद जून 2016 में बेल्लारी जिले में कुडलिगी के पुलिस उपाधीक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था।
शेनॉय को प्रशासनिक प्रणाली के भीतर न्याय नहीं मिला और वह अपनी संतुष्टि के लिए लोगों की सेवा नहीं कर पाईं। उन्होंने राजनीति में जाने का फैसला कर खुद को सशक्त करने का फैसला लिया। शेनॉय ने एक नवंबर, 2017 को भारतीय जनशक्ति कांग्रेस (बीजेसी) नामक पार्टी बनाई। उन्होंने 18 फरवरी को निर्वाचन आयोग में इसे पंजीकृत कराया। पार्टी विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ेगी। निर्वाचन आयोग ने 15 मार्च को पार्टी को चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिया। पार्टी का चुनाव चिन्ह ‘भिंडी’ है।
शेनॉय ने कहा, “मैं राज्य का नया नेतृत्व शुरू करने के लिए राजनीति में आई हूं। युवा के रूप में तीनों मुख्य पार्टियों में नेता बनने के लिए कोई जगह नहीं है, जब तक कि आपके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं हो। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल (सेक्युलर) से चुनौती मिल रही है। राजनीति में नौसिखिए की तरह शेनॉय जानती हैं कि वह सत्ता में नहीं आ सकतीं, बल्कि वह राज्य के लोगों को साफ एवं बेहतर सुशासन और लोगों तक सेवाओं की सुगम सुविधा के लिए राजनीतिक प्रणाली से जुड़ना चाहती हैं।
शेनॉय ने कहा, “हमारी पार्टी लगभग 30 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी, जिनमें से सात-आठ बेंगलुरू, तीन विजयापुर, दो-दो बगलकोट, कलबुर्गी, मैसूर और उडुपी और बाकी बचे राज्य के अन्य जिलों में चुनाव लड़ रहे हैं। मैं तटीय उडुपी इलाके के कॉप से चुनाव लड़ने की योजना बना रही हूं।”
विधानसभा की 225 सदस्यीय सीटों में से 224 सीटों पर 12 मई को एक चरण में चुनाव होंगे, जबकि मतगणना 15 मई को होगी।
शेनॉय ने कहा, “मैं राजनीति बदलने और लोगों की भलाई के लिए काम करने के लिए अपनी पार्टी को युवाओं और किसी के लिए भी एक मंच के रूप में तैयार करना चाहती हूं।”
बीजेसी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होना चाहिए और न ही उन पर कोई पुलिस केस दर्ज हो। उन्हें राज्य की भाषा कन्नड़ पढ़नी और लिखनी आनी चाहिए। शेनॉय ने कहा, “साल 2012 में सरकारी विभाग में शामिल होने के बाद मैं चार वर्षो तक पुलिस विभाग में रही। मैं अपनी पार्टी के सदस्यों को सिखाती हूं कि लोगों और राज्य की भलाई के लिए नेताओं पर किस तरह नकेल कसी जाती है।” शेनॉय का कहना है कि पार्टी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए स्थापित करने के बदले विधानसभा चुनाव जीतना उनकी प्राथमिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि जब 1980 में भाजपा का गठन हुआ था, तब पार्टी ने सिर्फ दो सीटें जीती थी और कांग्रेस को भी गठन के बाद सत्ता तक आने में दशकों लगे थे।
शेनॉय ने कहा, “हमने विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी का गठन नहीं किया है, बल्कि आगामी वर्षो में विकास के लिए बीज बोने के लिए। हम राज्य में अगली सरकार बनाने के लिए बहुमत मिलने वाली किसी भी पार्टी का समर्थन करेंगे।” निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रत्येक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को 28 लाख रुपये खर्च करने की अनुमति होती है। बीजेसी नई पार्टियों को वित्तीय रूप से समर्थन देने वाले ट्रस्टों के जरिए पूंजी जुटाएगी।
शेनॉय ने कहा, “दीर्घावधि में हम गरीब उम्मीदवारों की मदद कर उनके चुनावी खर्चे उठाना चाहते हैं। हमें अभी तक जितनी भी पूंजी मिली है, हमने उससे चुनाव को अच्छे से प्रबंधित किया है।”
शेनॉय ने कहा कि बीजेसी भ्रष्टाचार के खिलाफ है। उनकी पार्टी में पारदर्शिता होगी। महिला और पर्यावरण समर्थक नीतियों के प्रति अनुकूल होगी।
उन्होंने कहा, “हम शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में व्यवसायीकरण की भी जांच करना चाहते हैं, ताकि जरूरतमंदों को बेहतर सुविधाएं दी जा सकें। लोग ही किंगमेकर हैं, हमें किसी भी कीमत पर उनकी रक्षा करनी होगी।” शेनॉय ने अपने वरिष्ठों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिन्होंने एक स्थानीय शराब कारोबारी से लोहा लेने पर शेनॉय का तबादला कर दिया था। इन सबके बीच शेनॉय ने अपने शानदार करियर को अलविदा कह दिया था।
शेनॉय ने कहा, “मेरे आसपास के लोग सोचते हैं कि मुझे उस हाईप्रोफाइल नौकरी में बने रहना चाहिए था।” शेनॉय ने राज्य के पूर्व श्रम मंत्री पी.टी.परमेश्वर नाईक पर काम में खलल डालने का इशारा करते हुए कहा कि उन्होंने (शेनॉय) ने कुंडलिगी से अपने तबादले का विरोध किया था, क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता लागू कर रखी थी। लेकिन आयोग ने राज्य सरकार का समर्थन किया और इसके कारण वह 10 वर्षो तक परेशान रहीं।
शेनॉय ने कहा, “मैंने मुख्य निर्वाचन कार्यालय से चुनाव के दौरान दो आईपीएस अधिकारियों एस.मुरुगन और आर.चेतन को तैनात नहीं करने की शिकायत की थी, क्योंकि वे मेरे वरिष्ठ थे और उन्होंने तबादले को लेकर मेरा उत्पीड़न किया था।” शेनॉय ने कहा कि एक नौकरशाह के लिए नेता बनना बहुत मुश्किल है। एक बुरा नेता और एक बुरा नौकरशाह सिस्टम को सड़ा देता है। शेनॉय के लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा और जेडीएस तीन सी-भ्रष्टाचार, साम्राज्यवाद और जातिवाद की तरह हैं।
शेनॉय ने कहा, “मुझे लगता है कि साल 2008-2013 भाजपा के शासन के दौरान मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा के नेतृत्व में भ्रष्टाचार चरम पर था। जब उनकी सरकार ने खनन माफिया जी.जनार्दन रेड्डी के साथ मिलकर बेल्लारी में खनिज लूट को अंजाम दिया। उन्होंने नेताओं को यह विश्वास दिलाया कि उनसे कोई सवाल-जवाब नहीं करेगा।”
शेनॉय ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राज्य के लोकपाल की शक्तियों पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व में भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) की जांच को दिशाहीन कर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान की कार्यकारी इकाई राज्य सरकार के हाथों की सिर्फ कठपुतली बन गई है।
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने विपक्षी नेताओं को धमकाने के लिए एसीबी का इस्तेमाल किया, जबकि केंद्र सरकार ने सीबीआई और ईडी का इस्तेमाल राज्य सरकार के खिलाफ किया।”