कितनी सेफ च्वाइस हैं नीतीश और नायडू? अभी तक कब-कब किसके साथ रहे,
लोकसभा चुनाव के रुझानों में टीडीपी और जेडीयू किंगमेकर बनकर उभरे हैं. एनडीए का सारा दारोमदर जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू पर टिका हुआ है. अब देखना है कि नीतीश-नायडू क्या एनडीए के साथ बने रहेंगे या फिर मारेंगे पलटी?
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है और कांग्रेस की सीटें बढ़ रही हैं. बीजेपी भले ही सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, लेकिन अपने दम पर वो सरकार बनाती हुई नजर नहीं आ रही है. एनडीए को बहुमत का आंकड़ा जरूर मिल रहा है, लेकिन टीडीपी और जेडीयू किंगमेकर बनकर उभरे हैं. एनडीए का सारा दारोमदर जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू पर टिका हुआ है. ऐसे में बीजेपी उन्हें अपने साथ बनाए रखने की कवायद में जुट गई है तो इंडिया गठबंधन की कोशिश अपने खेमे में लाने तेज कर दी है. ऐसे में देखना है कि नीतीश-नायडू क्या एनडीए के साथ बने रहेंगे या फिर मारेंगे पलटी?
नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी. जेडीयू अपने कोटे की सभी सीटें जीतती हुई दिख रही है. नीतीश कुमार के 15 से 16 सांसद जीतकर आ सकते हैं. इसी तरह आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी भी बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी है. टीडीपी भी 15 से 16 सीटें जीतती हुई नजर आ रही है. एनडीए में बीजेपी के बाद जेडीयू और टीडीपी ही सबसे बड़े दल के तौर पर हैं. एनडीए से अगर दोनों अलग हो जाते हैं तो फिर बीजेपी के लिए तीसरी बार सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा.
एनडीए की धुरी नीतीश और नायडू हैं, जिसके खिसकने से सारे खेल बिगड़ जाएगा. इसीलिए बीजेपी नेतृत्व उन्हें साधे रखने में जुटी है, लेकिन दोनों ही नेताओं के राजनीति को देखें तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ रह चुके हैं. इसीलिए कांग्रेस और इंडिया गठबंधन उन्हें अपने साथ लाने की कवायद में जुटी है तो बीजेपी उन्हें अपने साथ बनाए रखने की कोशिश में है. ऐसे में नायडू और नीतीश की किस तरह की राजनीति रही है.
नीतीश कुमार क्या मारेंगे पलटी?
नीतीश कुमार की राजनीति को देखते हुए कब क्या फैसला लेंगे, ये उनके सिवा कोई नहीं जानता है. नीतीश कुमार बीजेपी और कांग्रेस दोनों के साथ रह चुके हैं और बिहार में सरकार चला चुके हैं. नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ ही अपनी सियासी पारी की शुरुआत की थी, लेकिन कुर्सी के लिए दोनों की सियासी राह अलग हो गई है. नीतीश कुमार ने 1998 से लेकर 2013 तक बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के साथ रहे, लेकिन 2014 में पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नाम को आगे बढ़ाया तो एनडीए से नाता तोड़कर अलग हो गए थे.
जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होने के बाद आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बिहार के 2015 चुनाव लड़े थे. नीतीश-लालू यादव की जोड़ी ने बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सफाया कर दिया था. नीतीश ने 2017 में एक बार फिर सियासी पलटी मारी और आरजेडी-कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर बिहार में सरकार बना ली. नीतीश ने 2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़े, लेकिन बिहार में दो साल सरकार चलाने के बाद 2022 में सियासी पलटी मारी. नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर कांग्रेस, आरजेडी और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बना ली.
एनडीए से अलग होने और कांग्रेस-आरजेडी से साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकगुट करने का काम किया, जिसे इंडिया गठबंधन का नाम दिया गया. इंडिया गठबंधन की पहली बैठक नीतीश कुमार की मेजबानी में ही पटना में हुई थी, लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने फिर से बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया और एनडीए का हिस्सा बन गए. नीतीश एनडीए के साथ लोकसभा का चुनाव लड़े और अपने कोटे की सीटें जीतने में सफल होती दिख रही है. ऐसे में नीतीश कुमार की भूमिका काफी अहम हो गई है. एनडीए के साथ रहते हैं तो बीजेपी के लिए सियासी मुफीद होंगे, अगर पलटी मारते हैं तो फिर इंडिया गठबंधन के लिए संजीवनी का काम करेंगे.
टीडीपी क्या सियासी पाला बदलेगी?
आंध्र प्रदेश के सियासी बाजी पलटने वाले टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू 2024 के किंगमेकर बनकर उभरे हैं. चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं और 16 सीटें जीतने की स्थिति में है. नायडू 1998 में बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर एनडीए का हिस्सा बने थे, जिसके बाद से वो 2018 तक दोस्ती रखी. आंध्र प्रदेश के विशेष राज्य का दर्ज देने की मांग कर बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया और विपक्षी खेमे का हिस्सा बने. 2019 में कांग्रेस के संग मिलकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े. हालांकि, चंद्रबाबू नायडू चुनाव नहीं जीत सके जबकि 2019 में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एक लाने के लिए काफी मशक्कत की थी.
2024 के लोकसभा और आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चंद्रबाबू नायडू का जेल जाना सियासी मुफीद साबित हुई. चुनाव से ठीक पहले नायडू ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया और उन्हें लोकसभा और विधानसभा दोनों जगह फायदा हुआ. चंद्रबाबू नायडू लोकसभा चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरे हैं, जिनके दम पर ही बीजेपी केंद्र में सरकार बन सकती है. नायडू अगर एनडीए से अलग होते हैं तो फिर बीजेपी के लिए सरकार बनाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में देखना है कि नायडू और नीतीश कुमार क्या सियासी गुल खिलाते हैं?पीटीआई.