ब्रह्मा जी का हुआ था भगवान विष्णु की नाभि से जन्म, इस काम के लिए शिव जी ने लिया था अर्धनारीश्वर रूप
शिव पुराण के अनुसार माना जाता है कि मासिक धर्म का सिर्फ महिलाओं को नहीं पुरुषों को भी हुआ करता था। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये माना जाता है लेकिन वैज्ञानिक तौर पर ये असंभव है। माना जाता है कि संसार के आरंभ से पहले त्रिदेव प्रकट हुए थे। भगवान विष्णु ने नाभि से ब्रह्मा जी को प्रकट किया था और संसार बनाने का सारा काम उन्हें दिया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने आठ पुत्रों को जन्म दिया जिसमें सात ऋषि और नारद मुनि थे। ब्रह्मा जी द्वारा संसार का विकास बहुत धीरे चल रहा था जिसके कारण भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर का रुप लिया, इसके बाद संसार में नारी उत्पन्न हुई और स्त्री पुरुष के मिलन से विकास आरंभ हुआ। स्त्रियों के उत्पन्न के बाद ही उन्हें मासिक धर्म यानि रजस्वला हुए। इससे पहले देव खुद ही रजस्वला होकर सृष्टि का विकास कर रहे थे।
भागवत पुराण के अनुसार माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को कहा कि उनके वस्त्रों पर पड़ी ये लाल छीटें उन्हें बहुत पसंद है और उन्हें भी इसकी चाहत है। माता की हठ के आगे भगवान शिव ने हार मानी और वरदान दिया कि पुरुष मासिक धर्म से मुक्त होंगे और महिलाओं को संतान उत्पत्ति के लिए मासिक धर्म से गुजरना होगा। इसी तरह की कई अन्य कथाएं हैं जो बताती है कि महिलाओं को हर माह आने वाले मासिक धर्म महिलाओं के नहीं पुरुषों के लिए बनाए गए थे, लेकिन सृष्टि के विकास को ध्यान में रखकर इस काम को महिलाओं को सौंपा गया।
वैज्ञानिक इन कथाओं पर बिल्कुल विश्वास नहीं करते हैं। मेडिकल का महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म में अलग मत है। शास्त्रों के अनुसार देखा जाए और उनके लिखे पर विश्वास करें तो पाएंगे कि किस तरह से संसार के विकास के लिए कई प्राकृति में कई बदलाव हुए हैं। आज की महिलाएं सवाल करती हैं कि ये मासिक धर्म सिर्फ महिलाओं को ही क्यों भोगना पड़ता है। परंतु विश्व के निर्माताओं ने महिला और पुरुष का निर्माण करके संसार के सभी कर्मों को दो भागों में बांटा है जिसे नकारा नहीं जा सकता है।