जानिए कैसे बनी अवनी चतुर्वेदी अकेले फाइटर जेट उड़ाने वाली देश की पहली महिला

भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अपना कारनामा दिखाकर इतिहास रच दिया है। अकेले फाइटर जेट उड़ाने वाली वह देश की पहली महिला पायलट बन गई हैं। उन्होंने गुरुवार को गुजरात के जामनगर में अपनी पहली ट्रेनिंग में अकेले ही मिग-21 बाइसन फाइटर प्लेन उड़ाया। तो चलिए जानते हैं अवनी की इंस्पाइरिंग स्टोरी। अवनी का जन्म 27 अक्टूबर 1993 को मध्य प्रदेश के रीवा में हुआ था। उन्होंने अपनी ट्रेनिंग हैदराबाद एयर फोर्स एकेडमी से पूरी की। उनकी स्कूली शिक्षा मध्य प्रदेश के शाहडोल जिले के एक छोटे से शहर दियोलाड में पूरी हुई। 2014 में राजस्थान में वनस्थली यूनिवर्सिटी से उन्होंने टेक्नोलॉजी में अपनी बैचर्स डिग्री हासिल की और फिर एयर फोर्स परीक्षा पास की।

अवनी को एयर फोर्स में जाने की प्रेरणा अपने भाई से मिली जो खुद भी सेना में हैं। वह हमेशा से ही आसमान में ऊंची उड़ान भरना चाहती थीं और इसी लिए उन्होंने अपने कॉलेज में भी फ्लाइंग क्लब जॉइन किया। स्पोर्ट्स और गेम्स की बात करें तो अवनी को शतरंज और टेबल टेनिस पसंद हैं। इसके अलावा उन्हें पेंटिंग का भी शौक है। अवनी के पिता दिनकर चतुर्वेदी मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग में एक्जिक्यूटिव इंजीनियर हैं। अवनी की इस उपलब्धि के बाद भारत भी ब्रिटेन, अमेरिका और इजरायल की तरह उन देशों में शुमार हो चुका है जहां महिलाओं को फाइटर जेट उड़ाने की इजाजत है। बता दें अक्टूबर 2015 में भारत सरकार ने फाइटर स्ट्रीम को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला लिया था।

वायु सेना में 1993 से ही विभिन्न क्षेत्रों में महिला अफसरों को बतौर शॉर्ट सर्विस कमीशन्ड ऑफिसर नियुक्त किया जाता रहा है। पहले महिलाओं को फाइटर स्ट्रीम में नहीं लिया जाता था। हाल ही में इस नियम में बदलाव किया गया और महिलाओं के लिए फाइटर स्ट्रीम के दरवाजे, प्रयोग के तौर पर 5 साल के लिए खोले गए। 18 जून 2016 को महिला फाइटर पायलट बनने के लिए पहली बार तीन महिलाओं अवनी चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना कांत को वायु सेना में कमिशन किया गया। समाचार एजंसी एएनआई से बात करते हुए एयर कमोडोर प्रशांत दीक्षित ने कहा कि ‘यह भारतीय वायु सेना और पूरे देश के लिए एक विशेष उपलब्धि है।

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