माता के इस शक्ति पीठ मे सूर्य करता है माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श, जाने और भी रहस्य
श्री महालक्ष्मी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। माता लक्ष्मी का मंदिर महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है, जिसकी दूरी मुंबई से 400 कि.मी है। पुराणों के अनुसार शक्ति पीठों में मां शक्ति उपस्थित होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। ये शक्ति पीठ इसलिए प्रख्यात है क्योंकि माना जाता है कि इस मंदिर में जो भक्त इच्छा लेकर आता है वो पूर्ण हो जाती है। इस मंदिर को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का निवास स्थान माना जाता है। स्थानीय लोग इस मंदिर को अम्बा माता का मंदिर कहकर पुकारते हैं। इस मंदिर में सूर्य माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श करके निकलते हैं।
माना जाता है कि मंदिर में माता लक्ष्मी की मूर्ति के प्रत्येक हिस्से की सूर्य की किरणे अलग-अलग दिन दर्शन करती हैं। मंदिर की पश्चिमी दीवार पर एक खिड़की है जिसमें से सूर्य की रौशनी आती है और माता की मूर्ति को स्पर्श करती है। रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव माता लक्ष्मी के चरण छूते हैं। हर वर्ष जनवरी माह में ऐसा होता है। इस विशेष दिन का पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है। पर्व के सबसे पहले दिन सूरज की किरणें माता लक्ष्मी के चरण स्पर्श करती हैं। दूसरे दिन मध्य भाग को छूती हैं और तीसरे दिन माता लक्ष्मी के चेहरे को रौशन करती हैं। इसी के साथ हिंदू धर्म में मंदिरों में अधिकतर देवी-देवता पूर्व या उत्तर दिशा में देख रहे होते हैं लेकिन इस मंदिर में माता लक्ष्मी का चेहरा पश्चिम दिशा की तरफ है।
इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल से माना जाता है। 7वीं शताब्दी में चालुक्य के राजा कर्णदेव ने मंदिर का निर्माण करवाया था। ये निर्माण अधूरा था जिसे 9वीं शताब्दी में पूरा किया गया था। आज ये मंदिर 27 हजार वर्ग फुट में फैला हुआ है। ये मंदिर करीब 45 फीट ऊंचा है और मंदिर में स्थापित माता लक्ष्मी की मूर्ति 4 फीट ऊंची और 7 हजार वर्ष पुरानी मानी जाती है। मंदिर में एक दीवार में श्री यंत्र पत्थर पर खोद कर बनाया गया है। देवी की मूर्ति के पीछे देवी के वाहन शेर की एक पत्थर पर मूर्ति बनी हुई है। इस मंदिर में आदि गुरु शंकराचार्य ने माता लक्ष्मी की मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की थी।