कौन था पीएम मोदी का वह दूत? जिसने इजरायल जाकर रमजान के महीने में रुकवाई थी गाजा पर बमबारी,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलासा किया कि भारत ने इजराइल में एक दूत भेजकर रमजान के दौरान गाजा में हवाई हमले रोकने का रिक्वेस्ट की थी. पीएम मोदी ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू दौरान कहा था कि रमजान के पवित्र महीने के दौरान इजराइल से युद्ध में शामिल होने के बजाय शांति बनाए रखने का आग्रह किया गया था. उन्होंने कहा कि उनके दूत ने इजराइल से कहा था कि उन्हें कम से कम रमजान के पवित्र महीने के दौरान गाजा पर बमबारी नहीं करनी चाहिए. पीएम मोदी के इस जिक्र के बाद सबके मन में यहीं सवाल उठ रहा था कि आखिर वह दूत कौन था जिसन इजरायल जाकर युद्ध रुकवाया था.
यह दूत कौन था. इसका खुलासा शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने किया है. विदेश मंत्रालय ने बताया है पीएम मोदी ने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल को शांति वार्ता के लिए इजरायल भेजा था. आपको बता दें कि अजीत डोभाल प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) हैं. वह केरल कैडर के एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी और पूर्व भारतीय खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारी हैं. वह 1945 में उत्तराखंड में जन्मे और कीर्ति चक्र, सैन्य कर्मियों के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले भारत के सबसे कम उम्र के पुलिस अधिकारी रह चुके हैं.
क्या कहा था पीएम मोदी ने?
पीएम मोदी ने कहा था कि रमजान के महीने के दौरान मैंने अपने विशेष दूत को प्रधानमंत्री (बेंजामिन नेतन्याहू) से मिलने और समझाने के लिए इजराइल भेजा था कि उन्हें रमजान के दौरान गाजा में बमबारी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने इसका पालन करने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन अंत में 2-3 दिनों तक युद्ध हुआ था. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह ऐसी चीजों का प्रचार नहीं करते हैं, भले ही भारत में लोग ‘मुसलमानों’ के मुद्दे पर उन्हें घेरते रहते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि कुछ अन्य देशों ने भी बमबारी रोकने के लिए इजराइल से बात करने की कोशिश की और शायद परिणाम भी मिले. उन्होंने कहा कि उन्हें परिणाम भी मिल गए होंगे. मैंने भी कोशिश की.
कब शुरू हुआ था इजरायल और गाजा के बीच युद्ध?
पिछले साल 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजराइल पर हमास आतंकवादियों के हमले के बाद गाजा के साथ युद्ध छिड़ गया. बताया जाता कि इजरायल में हुए आतंकी हमले में करीब 1170 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे. हमास शासित गाजा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल की सैन्य जवाबी कार्रवाई में कम से कम 35233 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर नागरिक हैं. बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास खत्म नहीं हो जाता तब तक हमला जारी रहेगा.
जब पीएम मोदी ने सुनाया एक किस्सा
एक चैनल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने पहले की सरकारों के विपरीत, जो प्रतीकात्मक धर्मनिरपेक्षता का प्रदर्शन करती थीं. इसके चलते कोई भी प्रधानमंत्री इजरायल और फिलिस्तीन दोनों का अकेले दौरा किया करता था. उन्होंने कहा कि पहले एक फैशन था कि अगर किसी को इजरायल जाना है तो फिलिस्तीन का दौरा करना जरूरी है. धर्मनिरपेक्षता करो और वापस आ जाओ, लेकिन मैंने ऐसा करने से इनकार कर दिया. प्रधानमंत्री ने एक किस्सा भी सुनाया जब उन्हें जॉर्डन के रास्ते फिलिस्तीन की यात्रा करनी थी. उन्होंने कहा है कि जब जॉर्डन के राष्ट्रपति, जो पैगंबर मुहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज हैं को पता चला कि मैं (जॉर्डन के हवाई क्षेत्र) फिलिस्तीन जा रहा हूं, तो उन्होंने मुझसे कहा, मोदी जी, आप इस तरह नहीं जा सकते. आप मेरे मेहमान हैं. उन्होंने कहा कि इसके बाद मैं डिनर के लिए उनके घर गया था, लेकिन हेलीकॉप्टर जॉर्डन का था, गंतव्य फिलिस्तीन था और मेरे साथ इजरायली फ्लाइट अटेंडेंट थे. तीनों अलग-अलग हैं, लेकिन मोदी के लिए सभी साथ आए थे.
कौन हैं अजित डोभाल?
सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान की सीमा पार बालाकोट हवाई हमले अजीत डोभाल के सुपरविजन में किए गए थे. उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की और पूर्वोत्तर में उग्रवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए. डोभाल ने 1968 में एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपना पुलिस करियर शुरू किया और मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहे. उन्होंने 1999 में कंधार में हाईजैक IC-814 से यात्रियों की रिहाई में तीन वार्ताकारों में से एक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के विमानों के कम से कम 15 हाईजैक्स को सफलतापूर्वक समाप्त किया.
कहा जाता है कि डोभाल ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में एक अंडरकवर ऑपरेटिव के रूप में सात साल बिताए हैं. गुप्त एजेंट के रूप में एक साल के कार्यकाल के बाद उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में छह साल तक काम किया. डोभाल ने 1984 में खालिस्तानी उग्रवाद को दबाने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. डोभाल 1990 में कश्मीर गए और कट्टर आतंकवादियों और सैनिकों को विद्रोही बनने के लिए मना लिया, जिससे 1996 में जम्मू और कश्मीर चुनाव का रास्ता साफ हो गया.
अजीत डोभाल ने अपने करियर का बड़ा हिस्सा इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में एक सक्रिय फील्ड इंटेलिजेंस अधिकारी के रूप में बिताया. कई प्रसिद्ध पुरस्कारों, सम्मानों और रिकॉर्डों के साथ डोभाल ने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के लिए एक प्रतिष्ठा बनाई है. 2009 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद डोभाल विवेकानन्द इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक बने. 2014 में अजीत डोभाल ने इराक के तिकरित के एक अस्पताल में फंसी 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित करवाई. वह एक शीर्ष-गुप्त मिशन पर गए और जमीनी स्थिति को समझने के लिए 25 जून 2014 को इराक के लिए उड़ान भरी और इराक सरकार में उच्च-स्तरीय संबंध बनाए.पीटीआई.