Labour Day 2018: जानिए मजदूर दिवस का इतिहास और भारत में इसका महत्व
Labour Day 2018: एक मई को दुनियाभर में लेबर डे यानी मजदूर दिवस मनाया जाता है। गूगल ने भी डूडल के जरिए इस दिन के महत्व को याद किया है। भारत समेत दुनिया के लगभग 80 देशों में लेबर डे मनाया जाता है और देश-विदेश की कई कंपनियां अपने मजदूरों के लिए खास छुट्टी रखती हैं। लेबर डे का खास महत्व है। आइए आपको बता दें इसके इतिहास के बारे में। इस दिन को लेबर यूनियन मूवमेंट और मजदूरों के सम्मान में मनाया जाता है। कई देशों में इसे ‘इंटरनेशनल वरकर्स डे’ या ‘वरकर्स डे’ के नाम से भी 1 मई को मनाया जाता है। इसके अलावा भारत समेत अन्य कई देशों में इसे ‘मय डे’ के नाम से भी जाना जाता है। वहीं कई देशों में अलग-अलग तारीख पर मजदूर दिवस मनाया जाता है।
भारत में मजदूर दिवस
भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था। न सिर्फ मजदूर बल्कि अन्य कामकाजी वर्ग के लोगों के सम्मान में भी यह दिवस इंटरनेशनल लेबर मूवमेंट द्वारा हर साल प्रोमोट किया जाता है। यह एक प्राचीन यूरोपीय त्योहार है।
अंतराष्ट्रीय स्तर पर लेबर डे
अंतराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। अमेरिका के मजदूर संघों ने 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करने का फैसला किया और इसके लिए संगठनों ने हड़ताल का आह्वान किया। बड़े पैमाने पर मजदूर इससे जुड़े। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ और पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी। इस फायरिंग में कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश मिलेगा।