मजदूर के बेटे ने ठुकराई अमेरिका में नौकरी, कहा- देश सेवा में जो संतुष्टि है वो पैसे में नहीं

विदेश में नौकरी हासिल करने का सपना हर कोई देखता है लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो सिर्फ अपने देश की सेवा करना चाहते हैं। ऐसे ही लोगों में से एक हैं बरनाना याडगिरी। बरनाना ने अमेरिका की किसी एमएनसी में आरामदायक नौकरी करने के बजाए सेना को चुना। IIIT (इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, हैदराबाद) से पढ़ाई करने के बाद उन्हें अमेरिका से नौकरी का ऑफर आया था लेकिन इसे उन्होंने ठुकरा दिया। बरनाना ने कड़े संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके पिता हैदराबाद में एक सीमेंट फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूरी पर काम करते थे। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा लेकिन इस परेशानी को उन्होंने अपनी पढ़ाई के आड़े नहीं आने दिया। वह हमेशा से ही पढ़ाई में अव्वल रहे।

मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के लिए सबसे कठिन माने जाने वाले एंट्रेंस एग्जाम कैट में उन्होंने 93.4 प्रतिशत अंक स्कोर किए थे। यह परीक्षा क्वॉलिफाई करने के बाद ही उन्हें IIM इंदौर से भी कॉल आई थी, लेकिन उन्होंने वहां पर भी दाखिला नहीं लिया क्योंकि उन्हें सेना में जाना था। 9 दिसंबर को बरनाना याडगिरी भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून (IMA) की पासिंग परेड के बाद 409 नौजवान भारतीय सीमा का हिस्सा बन गए। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में वह बताते हैं, “मेरे पिता बड़े ही साधारण व्यक्ति हैं। कई बार ऐसा भी होता था जब मेरे पिता एक दिन में सिर्फ 60 रुपये कमा पाते थे।”

बरनाना को टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में अच्छे प्रदर्शन के लिए आईएमए के प्रतिष्ठत सिल्वर मेडल से नवाजा गया। इस खूबसूरत मौके पर उसके माता-पिता की आंखें नम हो गईं। खबर के मुताबिक बरनाना ने अपनी पढ़ाई सरकारी स्कॉलरशिप्स की मदद से पूरी की। वह बताते हैं कि आर्थिक तंगी के बावजूद भी उन्होंने कभी ज्यादा पैसे हासिल करने का सपना नहीं देखा। बरनान ने कहा, “मेरे पास कॉर्पोरेट दुनिया में रहकर अच्छा पैसा कमाने का विकल्प था लेकिन मेरा दिल कभी इसके लिए राजी नहीं हुआ। अपनी मातृभूमि के लिए काम करके जो संतुष्टि मिलती है वह किसी पैसे से नहीं मिल सकती।”

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