विधि आयोग ने की खेलों में सट्टेबाजी को कानून के दायरे में लाने की की वकालत, दिया वैदिक ग्रंथों का हवाला

विधि आयोग ने खेलों में सट्टेबाजी को कानून के दायरे में लाने की वकालत की है। आयोग ने अपनी बात रखते हुए वैदिक ग्रंथों, चाणक्य से लेकर अंबेडकर तक का जिक्र किया है। रिपोर्ट का शीर्षक है, ‘लीगल फ्रेमवर्क: गैंबलिंग ऐंड स्पोर्ट्स बेटिंग इन्क्लूडिंग क्रिकेट इन इंडिया।’ आयोग ने इस मामले पर संसद और राज्य विधायिका को अंतिम फैसला लेने के लिए कहा है। विधि आयोग की सिफारिश में सट्टेबाजी के बाजार को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय भी सुझाए गए है। आयोग का मानना है कि इस तरह के कदम से बड़े पैमाने पर राजस्व मिलेगा, जिसका इस्तेमाल ‘समाज की भलाई’ के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा, अंडरवर्ल्ड के प्रभाव को कम करने और ब्लैमनी और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम कसने में भी मदद मिलेगी।

हालांकि, आयोग के एक सदस्य एस शिवकुमार ने अलग राय रखी है। उनका मानना है कि यह रिपोर्ट समग्र नहीं है और सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा दिए जाने के बाद पैदा होने वाली सामाजिक बुराइयों को दूर करने में सक्षम नहीं है। बता दें कि क्रिकेट पर लोढ़ा कमिटी की रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधि आयोग से सट्टेबाजी को वैध बनाए जाने के मुद्दे पर राय मांगी थी। लॉ कमिशन की रिपोर्ट में नारद स्मृति का जिक्र है। इसमें लिखा है, ‘नारद स्मृति में सार्वजनिक खेलघरों में होने वाला जुआ कानून के दायरे में आने वाली मनोरंजक गतिविधि के तौर पर वर्णित है।… नारदस्मृति और कौटिल्य(चाणक्य), सभी ने यह वकालत की है कि जुआ राज्य के नियंत्रण में होना चाहिए।’ रिपोर्ट में कात्यायन स्मृति का उद्धरण भी है। इसके मुताबिक, ‘अगर राज्य में जुए पर रोक नहीं लगाई जा सकती तो इसे नियमित किया जाएगा। राजा को जुए पर कर लगाना चाहिए और इसे आय का साधन बनाना चाहिए। राजा को कर चुकाने के बाद सार्वजनिक तौर पर जुआ खेला जा सकता है।’

रिपोर्ट में महाभारत का भी कई जगह जिक्र है। वहीं, मामले पर संवैधानिक दलील देते हुए कमिशन ने 2 सितंबर 1949 को सदन में हुई बहस का जिक्र किया है। सट्टेबाजी और जुआ को सातवीं अनुसूचि के लिस्ट II में जगह देने को लेकर एक प्रस्ताव पर यह बहस हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस कदम का प्रोफेसर शिब्बन लाल सक्सेना, श्री लक्ष्मीनारायण साहू और सरदार हुकुम सिंह ने ‘तीखा विरोध’ किया था। कमिशन की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ अंबेडकर ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, ‘अगर इसे बाहर रखा जाता है तो सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाएगा।’

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