‘पद्मावती’ पर लगा सती प्रथा को बढ़ावा देने का आरोप, इलाहाबाद हाई कोर्ट में PIL दायर
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर ‘पद्मावती’ फिल्म पर सती प्रथा को महिमांडित करने का आरोप लगाया गया है। याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि याची अपनी बात सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील के माध्यम से रख सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की पीठ ने कामता प्रसाद सिंघल की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर पारित किया। याची के अधिवक्ता विरेंद्र मिश्रा के मुताबिक, याचिका में कहा गया था कि फिल्म मलिक मोहम्मद जायसी की रचना पद्मावत पर आधारित है जिसके अंत में रानी पद्मावती सती हो जाती हैं।
अधिवक्ता के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि इस बात को फिल्म में दिखाना सती प्रथा को बढ़ावा देना माना जाना चाहिए। सती प्रथा को किसी भी प्रकार से महिमामंडित करना सती प्रथा निवारण अधिनियम के विरुद्ध है और ऐसा करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। लिहाजा ऐसी फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जानी चाहिए। अदालत ने हालांकि कहा कि याची सिनेमेटोग्राफी एक्ट के प्रावधानों के तहत सेंसर बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध सक्षम प्राधिकारी के समक्ष जा सकता है।
वहीं, बीजेपी के फायरब्रांड नेता और सांसद साक्षी महाराज ने फिल्म पद्मावती के जरिए बॉलीवुड पर निशाना साधा है। पद्मावती के रिलीज पर मचे बवाल के बीच जब साक्षी महाराज के इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिस तरह पद्मावती, महारानी, मां, हिंदू और किसानों का मजाक बनाया जा रहा है, सरकार और प्रशासन को पता होना चाहिए कि यह गलत हो रहा है और फिल्म पद्मावती को पूरी तरह बैन किया जाना चाहिए। जब उनसे कहा गया कि फिल्म इंडस्ट्री इसकी आलोचना कर रही है तो 61 साल के साक्षी महाराज ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री को अस्मिता और राष्ट्र से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें सिर्फ पैसा चाहिए। वह इसके लिए नंगे होने के साथ-साथ कुछ भी कर सकते हैं। फिल्म पद्मावती की रिलीज डेट 1 दिसंबर है।