आज ही के दिन ही महात्मा बुद्ध का हुआ था जन्म और बोधगया में हुई थी बुद्धत्व की प्राप्ति, उनके उपदेश आज भी हैं प्रासंगिक

बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा (वैशाख पूर्णिमा) का विशेष महत्व है। इस दिन को बौद्ध अनुूयायी बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। आज ही के दिन बुद्ध जी को बोधगया में बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी। इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा को ही बुद्ध जी ने महानिर्वाण के लिए कुशीनगर को प्रस्थान किया था। इस प्रकार से ये सभी महत्वपूर्ण घटनाएं वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुई थीं। इसलिए बौद्ध धर्म में वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाता है। बता दें कि बौद्ध धर्म को मानने वाले दुनिया के कई देशों में फैले हुए हैं। ये सभी लोग बड़े श्रद्धा भाव से बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध के दिए उपदेशों को सुनते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं।

बता दें कि हिंदू धर्म ग्रन्थों में बुद्ध जी को भगवान विष्णु का 9वां अवतार बताया गया है। विष्णु जी ने वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध जी का अवतार धरा था। इसलिए हिंद धर्म में आस्था रखने वालों के लिए वैशाख पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है। इस दिन तमाम हिंदू गंगा स्नान के लिए जाते हैं। कहा जाता है कि वैशाख पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को उसके पाप कर्मों से छुटाकारा मिल जाता है। इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा को ‘सत्य विनायक पूर्णिमा’ के तौर पर भी मनाया जाता है। कहते हैं कि सुदामा जब भगवान श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे थे तो कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक कथा कराने की सलाह थी। सुदामा के ऐसा करने से उनके घर की दरिद्रता दूर हो गई।

गौरतलब है कि भगवान बुद्ध के दिए हुए उपदेश आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने व्यक्ति को अपने भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान पर ध्यान देने की बात कही है। उनका उपदेश था कि मनुष्य को व्यक्तिगत हित छोड़कर समाज की भलाई के लिए कार्य करने चाहिए। बुद्ध जी ने इसी तरह के जीवन से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए हैं। बुद्ध जी के उपदेशों को समझकर उन पर चलने की जरूरत है।

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